Sunday, May 9, 2010

क्यूं थारी गोमा गाजै रै?

इत्ता निबळा क्यूं हुग्या,
क्यूं थारी गोमा गाजै रै?
आजाद देश  है थांरौ!
फैरूं थांरी किण सूं फाटै रै?
अबै नीं तो ठाकर रैया,
नीं रैयी वा ठकराई
नी रैया वै पातसाह,  
नीं रैयी लाटसाही।
राजसाही रूळगी लोकराज में
फैर क्यांरौ संको रै?
इत्ता निबळा क्यूं हुग्या,
क्यूं थारी गोमा गाजै रै?
ओ राज लोक रौ!
लोकां रौ!
लोकां रै सारू!
वोटां री मसीनां सूं
बणै मंतरी जद अठै
जात रै आरक्षण सूं
संतरी जद बणै अठै
पांत में दूभांत री
बात करै क्यूं अठै?
मामै रौ ब्यांव, मा पुरसगारी,
फैर क्यांरी अड़कांस रै
इत्ता निबळा क्यूं हुग्या,
क्यूं थारी गोमा गाजै रै?
वोटां री मसीनां सूं
बण्यौ मंतरी,
केई पीढयां तार देवै!
जात रै जबकै अधबुढो
राज री चाकरी री वार चढै
मर ज्यावै अेकर तो
बेटा जी फैरूं असवार बणै।
इतरी आजादी इण राज में
फैर क्यूं कसमसावै रै?
इत्ता निबळा क्यूं हुग्या,
क्यूं थारी गोमा गाजै रै?
इयां डरती जै मांवा थांरी
कूख कियां हरी व्हैती रै?
जै डरतो बीकाण राव कर्णसिंघ
सनातन धरम धुप ज्यांतौ।
जै डरतो महाराणा प्रताप
जगत सूं सुरापण मिट ज्यांतो।
जै हाकम सूं डरतो पिरथीराज
जगत में प्रताप रौ नांव
खोटो व्है ज्यांतौ।
जै डरतो भगत सिंघ
राज ब्रिटानियां कींकर हिलतो रै?
जै डरतो सुभास बाबु
गोरां री मनचाही व्है जाती।
वै डिगया नीं जद गोरां रै सांमी
थै इण छक्कां सूं क्यूं
आंख लुकावौ रै?
इत्ता निबळा क्यूं हुग्या,
क्यूं थारी गोमा गाजै रै?
विनोद सारस्वत, बीकानेर

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