Monday, February 22, 2010

जगत मायड़ भासा दिवस

जगत मायड़ भासा दिवस

आज जगत मायड़ भासा दिवस छै, ओ दिन वां लोगां सारू घणौ महताउ छै, जिकां आपरी मायड़ भासा री रिछपाळ सारू आपरा प्राण होम दीधा। आपां राजस्थानी लोग भी इण दिन नैं याद अवस करां पण आपां री भासा नैं तो भारत री सरकार रिगदोळण में लागौड़ी छै अर इण नैं संविधान में ठौड़ देवण में ओसका ताक रैयी छै। एक जचती बात आ छै कै राजस्थानी भासा री मानता सारू चाल रइ~यै इण आंदोलन मांय हाल तकात किणी आप रा प्राण नीं गमाया छै। भारत री गूंगी बोळी सरकार राजस्थानियां री इण मांग नैं सुणी-अणसुणी कर रैयी छै। वा चावै कै राजस्थानी लोग भी आग बळीता नैं तोड़ा-फोड़ी करै, जद जाय नैं वा इण पर कीं ध्यान धरै।

पण राजस्थानी लोगां खुद भी घोर खेंच राखी छै, अर हिन्दी रै आगे टंटा टेरता थकां इण रा हेठवाळ बण नैं जीवण री पक्की तेवड़ली छै। आज अठै री कीरत अर बळिदान री गाथावां फगत एक इतिहास बण नैं रैयगी छै। ’’इला न देणी आपणी, हालरिये हुलराय। पूत सिखावे पालणै, मरण बडाई मांय।’’ इण दूहे रो आज कोई मायनो नीं लखावै। आज री मावां नैं कंवरा रै मूंडै सूं हिन्दी में बोल-बतलावण अर धाड़-फाड़ अंग्रेजी बोलता आछा लागै। आज री वां कामणियां नैं भी हिन्दी में गिटर-पिटर करता भंवर आछा लागै जद बापड़ी मरू-वाणी आंसू झार-झार नैं रोवे।

म्हनैं तो साफ लागै कै वै जोधां धर्म-धरा री पत राखण सारू आप रै प्राणां रो मोह नीं राखता, गायां री रिछपाळ सारू वार चढ जांवता, विरछां री खातर आप रै जीवण री बाजी लगा देंवता। वै ब्राहमण भी लारै नीं हा जिका अन्याव सहन करण री ठौड़ जनेउ नैं खेजड़ी पर टांग नैं आप रौ जीवण बळती लाय में होम न्हाखता। पण अबै इत्तौ बदळाव कींकर व्हैग्यो। म्हनैं तो लागै कै अठै रै जोधां रौ लोही ठाडौ पड़ग्यो, वांरी खागां रै काट लागग्यो नैं वांरा तीर-कबाण खूंटी टंगग्या! जद इण झार-झार आंसूड़ा राळती मायड़ भासा मरू-वाणी री दाद-पुकार कुण सुणै।

विनोद सारस्वत,

बीकानेर