Friday, October 8, 2010

रूठ्ग्या म्हारा रामजी

भगवान है. आ सुणी है.


बात-ख्यात इतिहास में.

पण म्हे सेन्दे देख्या है.

भगवान ने म्हारे

बापजी रे रूप में.

वाऱी छतर छाया

में पलयो, मोटो विहयो.

मनचाही रळी पूरी!

वारे राज में.

आज वाऱी ओळयू में

नेण भर भर आवे.

कुण देवे ओळमा?

कुण देवे साची सीख?

म्हारो रू रू है

वारो करजायत.

विधना रो ओ किस्सों

विधान?

म्हे अभागो

नी दे सक्यो

वाऱी अरथी रे खान्धो!

जीवण भर जीवा-जूण

सू जूझता

परिवार री खेतरपाळ

ने आपरो धरम मान

बगता रेया

जीवण -जुध रे मारग.

कुण करेलो पूरी

म्हारी हरेक जिद्द?

कुण म्हारी हूंस बधावेला?

कुण म्हने उजड़ मारग

बेवण सू रोकेला?

रूठ्ग्या म्हारा रामजी.

म्हारे सू.

विनोद सारस्वत,
बीकानेर.

आखड़ी उदाळ खेमली!

भाषा छोडी, बेस छोड्या
रीत-रिवाज जात-समाज रा. .
नूवा बेस धारया
नूवे जमाने री चाल रा.
मदमाती चाल धारी
जोबनियो गरमाती चाली.
चूनगरा री हेली सामी
झाला सू बुलाती छेली
भर जोबन मे आंटी
आखड़ी उदाळ खेमली
लाज-सरम खूंटी टाँगी.
जोबनियो लूंटाती चाली.
चूनगरा रे छोरे साथे.
भाजगी उदाळ खेमली.
माइत्डा रोवे माही-माही.
कर-कर ख्यात जूने
जमाने री!
काई इस्सी हवा
चाली?
एक चूनगर एक बाम्णी
ने टोळी मे सू टाळली
जीव्त्डा हाँ,
मरये सरीखा
इस्सी उदाळ घर मे आई
हुवी घर हाण जग हँसाई
कोइ पुन्याई
आडी नी आई
जद आपे कीधा
कामडा!
किण ने देवा दोस?
विनोद सारस्वत,
बीकानेर.

Sunday, September 26, 2010

धरम री बाड़ रूखाळ करै

धरम री बाड़ रूखाळ करै
माण-मरजादा री
काण-कायदा री
रीत- रिवाजां री
तीज- तिंवारा री
धरम री बाड़ रूखाळ करै
रिस्ता-नातां री
गांव-गवाड़ी री
खेत-खळां री
देस-दिसावर री
धरम री बाड़ रूखाळ करै
राज-समाज री
लाज-सरम री
बिणज-बौपार री
जलम-मरण री
धरम री बाड़ रूखाळ करै
भूल्या-भटक्यां री
पापी-दुस्मियां री
जीव-जिनावरां री
भूखा-तिरसा री
धरम री बाड़ रूखाळ करै
भाईचारै-मिनखाचारै री
बोल-बतळावण री
नाप-तोल री
जस-अपजस री
धरम री बाड़ रूखाळ करै
भूंड-भलाई री
ब्यांव-सगाई री
मोट-मिजाज री
मान-गुमान री
धरम री बाड़ रूखाळ करै
पढाई-लिखाई री
गुण-औगण री
पाप-पुन री
सरग-नरग री
धरम री बाड़ रूखाळ करै
गढ-कोटां री
हाट-बजारां री
घर-गळी री
हरख-बधावै री
धरम री बाड़ रूखाळ करै
सील-सुभाव री
सत-पत री
आस-औलाद री
जात-पांत री
धरम री बाड़ रूखाळ करै
सूरां-वीरां री
साधु-संता री
हठ-हठीलां री
प्रण-पक्कां री
धरम री बाड़ रूखाळ करै
हेत-हेताळूवां री
प्रीत-प्रीतम री
राग-सौरठ री
कवि-कलमा री
धरम री बाड़ रूखाळ करै
दसूं-दिसावां री
न्याव-अन्याव री
जोग-संजोग री
भाग-दुरभाग री

विनोद सारस्वत,
बीकानेर।







Saturday, September 25, 2010

{राजस्थानी गीत} लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै!

कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

वेद उपज्या इण धरणी पर, वेदां में बखाणी रै।
वेदां रै बखाण सूं आ तो सीधी नीसर आई रे ।।
रिसिया रै परताप आ तो कूंचै-कूंचै छाई रै।
कवियां री कलमां में आ तो मात सुरसत बणगी रे।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

गढपतियां री ढाळ नैं तलवारां मांही सजगी रै।
वीरां रो तो बागौ बणगी, बेरयां माथे कड़की रै।।
सतवंतिया रौ सत बणगी, जौहर रास रचायौ रै।
कामीड़ां तो जमपुर देख्यौ, पल्लै कीं नी पायौ रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

कवि चन्द्रवरदाई काळ बणनैं बैठ झरोखां आयौ रै।
मार-मार मोटी तोई, ओ भासा ग्यान करायौ रै।।
इण रै ही परताप सूं तो मोहम्मद गौरी मर~यौ रे।।
अजमेरी चौहाण राजा धरम सनातन पाळ~यौ रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

रैदास सरीखा गरूवां मीरां नैं साचौ पाठ पढायौ रै।
भाव-भगती में इसी डूबी, देख जगत चकरायौ रै।।
मिसरी सी मीठी भासा में गिरधर गोपाळ रिझायौ रै।
सैंदे भगवान आप पगट~या, मीरां नैं दरस दिखायौ रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

अजमलजी रा तीखा बैण द्वारकानाथ मन भाया रै।
रामदेवजी रो अवतार ले, मात मैणादे घर आया रै।।
पिछम धरा रौ ओ देव रामदेव पीरां रौ पीर कैवायौ रै।
धजा फरूकै असमानां इण री परचां रौ कोई नी पार रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

करमा री आ भौळी भासा तिरलोकीनाथ नैं भायी रै।
गटागट जीम्यौ खीचड़ौ, डिकार भी नीं लीधी रै।।
मीठी, मधरी इण भासा री बाण भगवान नैं घण सुहाई रै।
थै! परभासा रा हेटवाळ बण क्यूं नकटाई धारौ रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

सगळा संत, सती अर सूरमा राख्यौ माण सवायौ रै।
देव-पितर जूझार भोमियां हाको-हाक मचाई रै।।
इटली सूं टेस्सीटोरी आय अठै राग राजस्थानी गायी रै।
जोर्जे  ग्रिएर्सन  अर सुनीति चटर्जी साख इण री बधाई रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

लंगा अर मांगणियारां गूंज सात समंदा पार गुंजाई रै।
गुलाबो अर कोहिनूर जैड़ां घमक धणी मचाई रै।।
लिखांरां री कलमां घसगी, कवियां कंठ गळग्या रै।
झार-झार रोवै मायड़ भासा, इसड़ा कांई जणिया रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

कै तो बीज बदळग्यौ इण धरणी रौ कै लागी खोटी निजर रै।
कै तो जापा बिगड़ग्या मांवा रा, कै गळसूंठी खोटी रै।।
कै तो सतियां रौ सत गमग्यौ, कै खागां रै लाग्यौ काट रै।
कै तो रजपूती रांड हुयगी, भरम कूड़ियो पाळयौ रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।
विनोद सारस्वत,
बीकानेर


















Sunday, September 19, 2010

हिन्दी नैं लाग्यौ सूतक, इण रा पौत चवड़ै!

    हिन्दी भासा नैं लेय’र आज च्यारूं कांनी घमसाण मचण लाग रह्यौ है। इन्दौर में लारलै दिनां केई हिन्दी अखबारां री होळी इण कारण बाळीजी कै वै अखबार वाळा हिन्दी ने हिंगलिष बणादी। इण सूं पैली भी इण देस में हिन्दी नैं लेय’र नीरा आंदोलन व्हिया है तोड़ाफोड़ी नैं आग-बळीता तकात व्हिया है। हिन्दी री हेटवाळी नीं करण अर आपरी मायड़ भासा नैं आपरै प्रदेस री सिरमौड़ बणावण सारू उण वगत 63 तमिल लोगां आपरा प्राण होम दीधा पण हिन्दी री हेटवाळी मंजूर कोनी करी।
    असल में तो जूने वगत में हिन्दी भासा रौ नांव-निसाण ईज नीं हो पण आर्यावृत में जद मुगला रा पगलिया मंडया अर मुगलां आपरी राजधानी दिल्ली थरपी उण वगत दिल्ली अर मेरठ रै बिचाळै खड़ी बोली रौ वपरास हौ। मुगलां नैं अठै रा लोगां सागै बोल बतळावण अर राज करण सारू अेक भासा री जरूत लखाई तद वां इण खड़ी बोली रै साथै उर्दू अर अरबी रौ भेळ बणाय नैं गुडाळियां चलावतां पगेवाळ करनै अेक नूंवी भासा खड़ी करदी।
    वैदिक भासा संस्कृत रै ’स’ आखर री गूंज फारसी में ’ह’ रै सरूप मिळै। इण कारण संस्कृत रै सिंधु अर सिंधी सबदां रौ फारसी सरूप ’हिन्द’अर ’हिन्दी’ आखर फारसी भासा रा ईज है। इण कारण आ बात डंके री चोट कैयी जा सकै कै ’हिन्दी’, ’हिन्दु’ अर हिन्दुस्तान सबद फारसी भासा सूं आया है। इण कारण मुगलां री पगेवाळ करयौड़ी भासा हिन्दुस्तानी बणगी। जिण वगत दिल्ली में सत्ता मुगलां रै हाथां ही उण वगत री देषी रियासतां में भी राजकाज मांय देसी भासावां रै सागै अरबी, उर्दू अर फारसी सबदां री बोळगत बढगी। जिण भांत हिन्दुस्तानी भासा में इण भासावां रौ वपरास बधतो रेयौ उणी भांत देसी भासावां भी इणसूं अछूती नीं रैयी।
    इण पछै जद मुगलिया काल आपरी छेकड़ली सांसा गिण रेयौ हो उण वगत अठै अंग्रेजां रा पग मंडाण व्हिया तो अंग्रेजी भासा रौ असर भी साफ दीखण लागग्यौ। पण जिकी देसी रियासतां ही वांरा राज-काज रा सगळा काम आपू आप री भासा में ईज व्हैता। अठीनैं जद समूचै आर्यावृत में अंग्रेजा नैं बारै काढण री हूंकार मची अर न्यारा-न्यारा पाळा मंडग्या। गांधीजी रै हरावळ में कांग्रेस पार्टी आपरौ आंदोलन चला रैयी ही तो दूजै कांनी मोहम्मद अली जिन्ना भी मुस्लिम लीग रै नांव माथै आपरौ न्यारौ मोरचो मांड लियो हो। अठीनैं प्रजा परिसद अर आरएसएस भी आपरा पाचिया टांग लिया हा। अबै खासकर उतरादै भारत में भासा नैं लेय’र अेक न्यारौ ईज रूप देखण में आयौ अठै हिन्दूवादी पार्टियां सगळा सूं आ अरज करी कै वै हिन्दी रै सागै आपू आपरी भासावां भी देवनागरी में लिखै। लोगां में हिन्दुत्व रौ अेक नूंवो जोस जागग्यो हो अर सगळा लोग लकीर रा फकीर बणग्या। अठीनैं जद धर्म रै नांव माथै देस आजाद हुय नैं दो फाड़ हुग्यौ। हिन्दी नैं राती-माती करण रा जतन सरू व्हैग्या। उण मांय सूं उर्दू रा सबदां नैं काढण अर संस्कृत रा तत्सम सबदां रौ घणै सूं घणौ वपरास करण री आफळ करीजी।
    रातूंरात नूंवी पोथियां लिखीजी, अनुवाद व्हिया, सेठ लोगां अखबार निकाळया अर राज रा सीरवाळ बणग्या तो केई धर्म रा ठेकेदार बणग्या। धर्म री दुकान चलावणियंा तो थोड़ी फोरबदळ रै सागै संस्कृत रै पांण आपरो मुकाम पा लियो पण अखबार, पोथ्यां छापण वाळा अर सिनेमा वाळा इण प्रयोग सूं अलायदा रैया। आज भी वै उर्दू अर अंग्रेजी रै बिना पांवडौ नीं धर सकै।
दूजे सब्दा में केवा तो आज री आ हिंदी उर्दू रो इज दूजो हिंदी वर्जन है. अर सीधी-सीधी केवा तो जिया अंग्रेजी २०० साल रे ब्रितानिया राज री गुलामी री सेनानी है तो आ तथाकथित हिंदी ५०० साल रे मुगलिया राज री गुलामी री सेनानी है जीकी आज टीवी अर बॉलीवुड रे जबके अर जोर रे सागे आपरी मनमानी चला रेई है. जिका लोग बॉलीवुड री फिल्मा ने हिंदी री बतावे वे घणी गाफल में जी रिया है. केई धार्मिक फिल्मा अर क्षेत्रीय  भाषावा री घाण ने पस्वाड़े राखदा तो ऐक भी फिल्म ने खाटी  हिंदी री फिल्म नी केय  सका.  जिण भान्त आ भाषा खुद ऐक खिचड़ी है उनी भान्त उर्दू री बोल्गत रे सागे क्षेत्रीयता रो तडको   लगा ने बनावनिया फिल्मकार भी आ बात जाने के म्हे काई चीज पुरस रिया हां. लोग फिल्मा देखे मोजमस्ती सारु. अर बॉलीवुड इन मामला में किनी भान्त री कमी नी राखे. मजे री बात आ के ऐ सागी इज फिल्मा भारत रे बारे पाकिस्तान अर दूजा मुस्लिम देशा में घणी सागीड़ी चाले अर लोग घणा मोदिजे के देखो हिंदी आज भारत सु बारे भी चाल रेई है.  जद लोग वारी फिल्मा देख ने फिल्मकारा ने  निहाल करदे तो वाने भाषा री काई टाट मारनी है. इत्तो ही नी फिल्मा में काम करणिया कलाकारा ने भाषा बोलनी भलाई मती आवो. भाषा रे सींग-पूंछ रो ही ज्ञान मती हुवो पण फिल्म चाल्गी तो चाँदी ही चाँदी. बॉलीवुड फिल्मा रो ओ नागो सांच भी इण बात ने प्रतख करे के हिंदी री चास्णी में पुरसीजण वाली आ मिठाई उर्दू री है.  मिठाई रो स्वाद मीठो इज व्हे सो खावण में काई हरजो है?  आ खावण सू सुगर बधे तो बधो फूट्या भाग खावनिए रा!
दूजी कांनी हिन्दी रा लूंठा साहित्यकार भी आपरी मायड़ भासावा री बळी देय’र आपरी भासावां नैं इण रै फिदू खाते में खतावंता रैया। अठीनैं जद राज आपरी डांग रै जबकै सूं इण भासा नैं राष्ट्रभाषा  रै सरूप थरपणी चाही तो उण रौ सागीड़ौ विरोध व्हियौ अर पंडित जवाहर लाल नेहरू नैं आपरा पग पाछा मेलणा पड़िया।
    अबै खेल सरू व्हियौ इण नैं राजभासा बणावण रौ। सो इण सारू भारत री सरकार 1956 में राजभासा विधेयक पास करायो अर इण नैं लागू करण सारू भारत रा भाग्यविधातावां उतरादे भारत रा राजनेतावां नैं साम दाम दंड भेद सूं गुडा़ दिया अर वै भारत रै भाग्यविधातावां रै आगे टंटा टेरता थका पागड़ी तो पागड़ी, तागड़ी खोलावण नैं भी त्यार हुयग्या। तद रो राजपुताना अर आज रै राजस्थान में इण राजभासा विधेयक नैं चोर बारणै सूं रातूंरात कद थरप दियो लोगां नैं ठा ईज नीं पड़ियौ। संसार में इसड़ी तानाषाही रो दूजो कोई सबूत नीं मिल सकै। 500 साल रो मुगल राज अर 200 साल रो अंग्रेज राज जिको काम नीं कर सक्यौ वो काम जोरामरदी अेक अधिनियम रै जबकै भारत रा भाग्य विधातावां कर दियौ। राजस्थानी भासा री जूनी मुड़िया लिपि तो पैली ही धर्म रै नांव माथै बळिहार कर दीवी ही। अबै जबान भी खोसली। अठै रा लोगां नैं मायड़ भासा में भणण रा अधिकार खोस लीना अर अेक अधकिचरी भासा में भणार लोगां नैं ठोठ बणावण रौ पक्को जापतो कर दीधो। अठै रा लोगां नूंवै देस नैं मजबूत करण री हूंस में आपरी भासा री बळी देयदी अर इण भासा नैं अेक नवाचाार रै रूप में अंगेजली।
    पण अठै रा लोगां में मायउ़ भासा सारू हेत आज भी हबौळा लेवै अर वै आपरी मायड़ भासा नैं माण दिरावण सारू हरैक मोरचै पर आपरी लड़ाई लड़ रैया है। जिकौ गळत काम राजस्थान री पैलड़ी सरकार करयो उण री भरपाई सारू राजस्थान री अषोक गहलोत सरकार 2003 में राजस्थान विधान सभा सूं अेक सरब सम्मति रौ प्रस्ताव पास कर नैं कर दीधो है। इण सारू अषोक गहलोत रो नांव इतिहास में अेक ठावी ठौड़ राखैला।
राज रै डंडे रै जोर सूं अठै रा लोगां माथै हिन्दी मढ तो दी पण हिन्दी अेक अधकिचरी भासा है इण रा प्रतख प्रमाण अठै रा राज रा मारजा आज भी देवै। लारलै दिनां दैनिक भास्कर रै अेक सर्वे में आ बात सैमूंडै आई कै अठै रा गरूजणा नैं टाबरां नै सावळसर समझावण सारू मायड़ भासा रौ ईज सायरौ लेवणौ पड़ै क्यूंकै हिन्दी में समझायोड़ो छोरां रै पल्लै नीं पड़ै। संस्कृत भासा री अेक मास्टरणीजी बतायौ कै म्है टाबरां नैं संस्कृत पढावण सारू मायड़ भासा राजस्थानी रो ईज सायरौ लेउं। वां इण बात नें प्रतख करी कै हिन्दी भासा में वा लूंठाई नैं सबदां री बोळगत कोनी कै म्हैं टाबरां नैं पढा सकूं। वां आ बात भी घणै हरख रै सागै सीकारी कै राजस्थानी भासा संस्कृत रै जोड़ री है अर इण नैं आप रो हक मिलणौ चाईजै।
    सो हिन्दी भासा रा सगळा पोत चवड़ै है आ किणी सूं छानी कोनी। फेर इण रै रास्ट्रभासा व्हैण रौ भरम क्यूं पाळौ। क्यूं इण रै दुख में दूवळा व्हौ। मायड़ भासा राजस्थानी सारू अेकठ हुय नैं हुंकारौ भरौ। जय राजस्थानी।ं
विनोद सारस्वत,
बीकानेर.

Thursday, July 8, 2010

जाति पंचायत में राजस्थान पुलिस रै इन्सपेक्टर री पेशी!

समूचै देस में आज जाति अर खांप पंचायतां पर बहस आदि चाल रैयी छैं। समूचौ मीडीया अर बौधिक वर्ग इण पंचायता रा नक्कू कसण सारू हाफळ कर रह्यौ छै। इण जाति अर खांप पंचायतां रै माथै इण देस रौ कोई कानून नीं चालै। इणां रौ आप रौ न्यारौ कानून नैं संविधान छै जिण री पालणा हरैक नैं (भलांई बो कित्तो ही बडो व्है) करणी पड़ै अर जदि नीं करै तो उण नैं जात-बिरादरी सूं टळणौ पडै़। इण खांप पंचायता रौ सरूप घणौ बडौ नैं माण मरजादा घणी ऊँची  व्है। देस रै कानून रै सैंजोड़ उभी ऐ पंचायतां देस रै कानून अर संविधान रै माथै आंगळी उठावती थकी चिगावती रेवै।
लारलै दिनां इसौ ही ऐक नमूनौ सहर बीकाण में निजर आयौ जद राजस्थान पुलिस रै ऐक इन्सपेक्टर नैं ‘‘सारस्वत समाज’’ री जाजम मांय हाजरी भरणी पड़ी अर आपरै कसूर री सफाई देवण नैं मजबूर व्हैणौ पड़ियौ। इण इन्सपेक्टर माथै आरोप हौ कै इण आपरै छोरै री सगाई च्यार साल तकात कर ने  राखी अर इण पछै ब्यांव करियौ। पण जिकी छोरी ब्यांव करनै इण रै घरां बीनणी रै रूप में आयी उण सूं उण रौ धणी लारलै डेड बरस सूं कोई बोल बतळावण ही नीं करी। उण रै साथै फैरां खायां रै केई घंटा पछै ही ओ बींद अग्नि री साखी में लियां सात फैरां रा बचनां नै भूल परो किणी महताउ काम रै ओळावै सूं इयूं निकळयो जियां कोई जुध रै मोरचे पर जा रह्यौ व्है।
सुहाग री सैज पर सूती कामणी रोंवती-कळपती रैयी पण उण बनड़े रै मन में इण कामणी रै दुख सूं कोई मतलब कोनी हो वो तो फगत बाप रै कैवण मतै ब्यांव री लीक पूरी ही। आज रो दिन अर काल री घड़ी ओ बींद तो पाछौ बावड़यो ईज कोनी। संस्कारी अर समाज री सरम नैं ढोंवती बिच्यारी कामणी गाडी सही चांके आवण री आस में दिन ओछा करती रैयी पण बींद राजा मुंबई जिस्सी महा नगरी में आपरौ न्यारौ जाचौ जचा राख्यौ हो। ऐकर बापड़ी सासू में राम बड़यो तो वा आप री बीनणी नैं मुंबई लेय’र गयी पण अठै भी बींद राजा आप रै काम रै ओळावै सूं टाळ-मटोळ करता रैया। दो दिन पछै सासु तो पाछी मारवाड़ आयगी अर च्यार दिनां री छेती पछै बींद राजा हवाई जहाज सूं बीनणी नैं भी खाली हाथ पाछी टोर दी।
अबै बापड़ी कित्तीक जरणा करै, उण रै कोई बाकी में चाकी नीं रैयी। छेवट उण आंती आय नै आपरौ रोवणौ घर रां सांमी परगास्यौ तो घर वाळां रा कान खुस’र हाथा में आयग्या। अबै सरू व्हियौ डिजास्टर मेनेजमेन्ट! इण मामले रौ बेगो निवेड़ो किसी अदालत में व्है सकै? छेवट समाज री अदालत रौ मारग ईज सगळां रै जच्यौ। इन्सपेक्टर समाज री अदालत में आया अर आप रै बंचाव में कह्यौ कै म्हारौ छोरो कैवै के इण छोरी रै साथै म्हनैं रैवण नैं मजबूर करयो तौ म्हैं सुसाईड कर लेवूंला। समाज री जाजम पर बिराजया पंच पटेलां कह्यौ कै जद थांनै इण बात री ठा ही कै थांरौ छोरो थांरै कैवण में कोनी जद थै क्यूं तो च्यार बरस तांई ठिकाणो करयोड़ो राख्यौ? अर ब्यांव करयो? तद इन्सपेक्टर साहब कनै कोई पडूतर कोनी हो अर नस हेटै करली। इण पछै पंच-पटेलां इन्सपेक्टर साहब सूं आ दरखास्त करी कै आप आप रै छोरै नैं इण जाजम पर बुलावो! तद इन्सपेक्टर साहब आपरै सभीस्ते मुजब 12 जुलाई री तारीख नैं आप रै छौरै नैं समाज री अदालत में हाजर करण रौ भरोसो दिरायौ।
अबै सगळां लोगां री निजरां 12 जुलाई पर टिक्यौड़ी छै जद वौ छोरो समाज री जाजम पर आय नैं आप री बात राखैला। सो टकां रौ सवाल ओ ईज छै कै कांई उण गाय नैं न्याव मिळेला? या इन्सपेक्टर रौ लाडैसर इण पंचायत रै फैसले नीं मान’र बाप रै धोळा में धूड़ न्हाखैला? इण समाज री पंचायती पर समाज रा लोगां नैं खरौ भरोसो छै क्यूंकै जूनै जमानै सूं इण रा फैसलां समाज नैं सूंवी सीख देंवता रैया छै। महाराजा गंगासिंघ जी भी अेकरकी इण अदालत में पधारया अर इण रै न्याव रै निवेड़ै नैं घण सरायौ। सो अठै ओ लिखणै रौ मतलब इत्तो ही कै कोई कीं भी कर लै इण जाति पंचायता री महता हरमैस बणी रेवैला। देस में कित्ती ही नूंवी अदालता बण जावै, नूंवा कानून बण जावै, पण वै इण अदालतां री ठौड़ नीं ले सके अर इणा री हौड तौ कदैई नीं कर सकै।


विनोद सारस्वत,
बीकानेर 

Sunday, May 9, 2010

क्यूं थारी गोमा गाजै रै?

इत्ता निबळा क्यूं हुग्या,
क्यूं थारी गोमा गाजै रै?
आजाद देश  है थांरौ!
फैरूं थांरी किण सूं फाटै रै?
अबै नीं तो ठाकर रैया,
नीं रैयी वा ठकराई
नी रैया वै पातसाह,  
नीं रैयी लाटसाही।
राजसाही रूळगी लोकराज में
फैर क्यांरौ संको रै?
इत्ता निबळा क्यूं हुग्या,
क्यूं थारी गोमा गाजै रै?
ओ राज लोक रौ!
लोकां रौ!
लोकां रै सारू!
वोटां री मसीनां सूं
बणै मंतरी जद अठै
जात रै आरक्षण सूं
संतरी जद बणै अठै
पांत में दूभांत री
बात करै क्यूं अठै?
मामै रौ ब्यांव, मा पुरसगारी,
फैर क्यांरी अड़कांस रै
इत्ता निबळा क्यूं हुग्या,
क्यूं थारी गोमा गाजै रै?
वोटां री मसीनां सूं
बण्यौ मंतरी,
केई पीढयां तार देवै!
जात रै जबकै अधबुढो
राज री चाकरी री वार चढै
मर ज्यावै अेकर तो
बेटा जी फैरूं असवार बणै।
इतरी आजादी इण राज में
फैर क्यूं कसमसावै रै?
इत्ता निबळा क्यूं हुग्या,
क्यूं थारी गोमा गाजै रै?
इयां डरती जै मांवा थांरी
कूख कियां हरी व्हैती रै?
जै डरतो बीकाण राव कर्णसिंघ
सनातन धरम धुप ज्यांतौ।
जै डरतो महाराणा प्रताप
जगत सूं सुरापण मिट ज्यांतो।
जै हाकम सूं डरतो पिरथीराज
जगत में प्रताप रौ नांव
खोटो व्है ज्यांतौ।
जै डरतो भगत सिंघ
राज ब्रिटानियां कींकर हिलतो रै?
जै डरतो सुभास बाबु
गोरां री मनचाही व्है जाती।
वै डिगया नीं जद गोरां रै सांमी
थै इण छक्कां सूं क्यूं
आंख लुकावौ रै?
इत्ता निबळा क्यूं हुग्या,
क्यूं थारी गोमा गाजै रै?
विनोद सारस्वत, बीकानेर

Friday, May 7, 2010

राजस्थान रा लूण हराम

इयूं तौ आखै आर्याव्रत मांय थांनै लूण हरामीयां रा घणां नांव मिळै ज्यूं कै आमेर रौ राजा मानसिंघ इत्याद. पण अठै आपां बात करां लारला 100 सुं 150 बरसां मांय राजस्थान रै सागै लूण हरामी करण वाळा भारत रै इतिहास मांय महान गिनीजन वाळा लोगां री. आ बात तौ सगळा जाणै कै भारत सरकार री पोथीयां मांय छत्रपती शिवाजी नै त्रासवादी अर अकबर नै महान केवीजै.
आवां आपां जाणा अबार रा लूण हरामी. थोड़ा घणा तौ राजस्थान रा पण दूजा अेड़ा जिणा रौ राजस्थान सूं कांई लेणौ देणौ कोनीं पण लूण हरामी करण मांय सगळां नै लारै बैठावै. माफी चावूं सगळां सूं क्यूं कै थे अबार घणकरा अेड़ा नांव सुणौला ज्यांरी थे सुपणां मांय ईं कळ्पणा नी कर सकौ, पण हकीकत बतावणी म्हारौ फरज समझू, घणी खम्मा सा :


* पं. मदनमोहन मालवीय : अचुम्भौ हुवै ? पण हकीकत आ कै पंडितजी बिकाणै (बिकानेर) अर जोधाणै (जोधपुर) रा घणा आंटा मार्‌या अर महाराजा गंगासिंघजी अर महाराजा उमेदसिंघजी सूं काशी हिंदू विश्वविद्यालय मांय राजस्थानी भासा रौ डिपार्टमेंट खोलण रै नांव पर खासा पईसा लूंटिया. काशी हिंदू विश्वविद्यालय तौ बण्यौ पण राजस्थानी रै वास्तै डिपार्टमेंट तौ कांई इणरौ नांव कै इतिहास ईं दुर-दुर तांई निंगे नीं आवै.

* सरदार वल्लभ भाई पटेल : सरदार जी रौ राजपुताना मांय घणौ आवणौ जावणौ रेवतौ. महाराजा उमेदसिंघजी अर गंगासिंघजी जैड़ा दान दाता जकौ बैठ्या हा. कोंग्रेस पार्टी रै वास्तै घणा रुपिया भीख मांय ले जावता. राजपुतानै री आजादी अर इणरी भासा-संस्क्रती री रखवाळी रौ आश्वासन ईं पटेल साब दे ग्या हा. भारत सूं अंगरेजां रै जावता ईं हाथ में दिल्ली री सत्ता मिळ्ता ई असल रंग दिखावणौ चालु कर्‌यौ. पटेल साब घणी कोशिश करी अर अेकवार तौ सिरोही जिल्ला नै गुजरात मांय लेग्या. सिरोही री पिरजा रै विरोध रै बावजुद अंबाजी गुजरात में राख’र आबू तक रौ हिस्सौ राजस्थान नै दियौ अर हर संभव कोशिश करी कै आबु नै गुजरात मांय ले लेवै. गुजरात मांय खुद री मायड़भासा गुजराती रा हिमायती बण्या रह्‌या अर राजस्थानी री राष्ट्रवाद अर देशहित रै नांव पर बळी लेवण मांय पटेल रौ हाथ सबसूं आगै है.

* इंदिरा गांधी : भारत री प्रधानमंत्री बण’र इण पद रौ घणौ गळत फायदौ उठायौ महाराणी इंदिरा गांधीजी. भारत मांय इमरजेंसी रै लगा’र तानाशाही राज चलावण वाळां मांय हालतांई फक्त अेक नांव आवै अर वौ नांव इंदिरा गांधी रौ. राजपुताना अर देस रै दूजा राज्यां रौ जद भारत मांय विलय कर्‌यौ उण बखत रा विलय पत्र माथै साफ लिख्यौ हौ कै ना तौ भारत सरकार अर ना ईं उण राज्य रौ प्रमुख (राजा) या उणरा उत्तराधिकारी इण विलय पत्र मांय कोई फेर बदळ कर सकै. लोकतंत्र आया पछै ईं हर जागा पिरजा खुद रै राजा नै बोट देवती आज ईं अेड़ा उदारण देखण मांय आवै, ज्यूं कै ग्वालियर, बिकाणौ, जोधाणौ. जद गायत्री देवी री एतिहासिक जीत गीनिज बुक ओफ वर्ल्ड रिकोर्ड मांय आयी तौ इंदिरा गांधी रातौ रात संविधान मांय फेर बदळ करनै सगळा राजावां सू वांरी पदमी, प्राविपर्स सै की खोस लिया. राजपरिवार रै म्हैला उपर छापा नाख’र खजाना लुटिया अर वौ खजानौ कठै गयौ हाल तांई कोई हिसाब कोनीं. अगर विलय पत्र मांय साफ लिख्यौ है कै इण मांय कोई फेरबदळ नीं कर सकै तौ इंदिरा गांधी कुण हुवै फेरबदळ करण वाळी. इंदिरा गांधी री लूण हरामी इतिहास मांय भारत री राजस्थान रै पुठ मांय खंजर मारण वाळी बात रै रुप मांय हमेश जाणीजैला.

* स्वामी दयानंद सरस्वती : स्वामीजी मूळ रुप सूं गुजराती हा. गुजरात मांय बापड़ौ री दाळ गळी कोनीं अर बार-बार मारवाड़ नरेश रा पांवणा बण’र जोधाणै पुंग जावता. हिंदी रा खासा हिमायती हा अर राजस्थानी रा विरोधी. स्वामीजी गुजरात वाळौ नै तौ हिंदी रौ पाठ पढा कोनीं सक्या पण जोधपुर नरेश सुं हमेश हिंदी नै राजभासा बणावण री वकालत करता रेवता. आखर इण खोटा करमां रै कारण इयूं केविजै के जोधाणै मांय स्वामीजी नै ज्‍हैर देरीजियौ. आज स्वामीजी रा चमचा (चेला) आर्य समाज रै नांव माथै राजस्थानी भासा रै विरोध रौ आंदोलण छेड़ राख्यौ है।

* जयनारायण व्यास : व्यास जी मारवाड़ राज्य रा प्रधानमंत्री हा. इयांनै प्रधानमंत्री पद ओछौ लागतौ अर एकरकी महाराजा हनवंतसिंघ नै केवै ”बापजी, आप घणौ राज कर्‌यौ इब म्हानै करण दौ”. मारवाड़ रा अे प्रधानमंत्री कोंग्रेस री बातां मांय आय’र खुद रै राज्य सूं लूण हरामी करी अर आखै राजपुतानै रा प्रधानमंत्री बणन रा सुपणा देखण लागा. आ बात न्यारी है कै पेला चुणावां मांय इणांरी जमानत जब्त व्हेगी ही. मारवाड़ राजघराणै सूं संबध राखण वाळा लोग आज ईं आ बात मानै कै महाराजा हनवंतसिंघजी री अपघात मौत मांय व्यासजी रौ हाथ है.!

* सिंधी समाज : भारत पाकिस्तान रा जद भागला पड्या तौ सिंधी हिंदू समाज नै सिंध छोड़णौ पड़्यौ. पंजाब अर बंगाळ रै ज्यूं सिंध रा दो टुकड़ा नीं करिज्या अर सिंधी समाज रै कनै माथौ ढाकवा नै ईं जगा नीं बची. अेड़ा समै में मारवाड़ नरेश महाराजा हनवंतसिंघजी अर बकनर नरेश महाराजा सार्दुल सिंघजी आगे आया अर सिंधी समाज नै आसरौ दियौ. इण समाज नै राजपुतानै री मारवाड़ रियासत अर बीकानेर रियासत में रेवण नै घर गुवाड़ी अर बिणज वौपर रै वास्तै पुरौ सैयोग राज सूं मिळ्यौ. इण पछे ऐ आज रे राजस्थान में ठोड-ठोड पसरग्या ने आपरो जाचो ज़चा लियो ने लारै जाय’र इण समाज री युनिवर्सिटी अर पोसाळां बणावण वास्तै ईं पुरौ सैयोग दियौ. इण समाज री भासा अर संस्क्रती री रिछपाल करण में राजस्थानी समाज हमेश आगे रैयौ है. इब इण समाज री लूण हरामी आ कै औ समाज राजस्थानी भासा संस्क्रती री रिछपाल री जदै ईं बात निकळै उण समै खुद री टांग सैं सूं पैली अड़ावै. औ समाज आ बात समझण री कोशिश नी करै कै जद सिंध सूं आया उण समै अठै आय’र हिंदी सिखी व्यूंईं राजस्थानी ईं सिखी. सिंध पाकिस्तान मांय रेवण वाळा राजस्थानी भासी ईं हमेश सिंधी नै मान संम्मान दियौ है.
हाल ईं घणां दूजा नांव है, पण फेरू कदै.

जै राजस्थान! जै राजस्थानी!!
- हनवंतसिंघ राजपुरोहित

Tuesday, April 27, 2010

बिन भासा बिन पाणी बिलखै राजस्थानी!


राजा जी, थांरै राज में बिन भासा बिन पाणी,
बिलखै राजस्थानी!
जिका सांपा नैं दूध पायौ हौ
वै आज फण उठावै है!
नित नूंवी कर कुचमाद~यां थांरी,
मायड़ भासा पर आंगळी उठावै है!
घर रा पूत तो कंवारा डोलै!
दूजां री क्यूं फुलड़ा सैज सजावौ हौ?
घर रा टाबरिया रोटी नैं तरसै,
दूजां नै मालपुवा क्यूं पुरसावौ हौ?
रोळ राज में तळै बेठगी भासा संस्कृति,
क्यांरी कुड़ी बिड़द बंचावौ हौ?
कक्कौ कोडको, मम्मा मौरी माय अै
गगा गौरी गाय अे, घाट पिलाणै जाय अे।
अेके-अेक दूवै-दो, अेके मिंडी दस,
तीये मिंडी तीस, पांचूड़ी पच्चीस।
छिनूड़ै री चौपन, बारम बार चमाळसो।
कठै गयी बा मारणी,
कठै गमग्या बै ढूंचा प्हाडा?
कठै गया बै मारजा,
कठै गई बै पोसाळांं?
इण भणाई सूं पांचवी पढयोड़ा
बडां बडां रा गोडा टिकावै है।
रोळ राज रा बीए एमए,
छोटी-छोटी गिणत्यां में अरड़ावै है।
कूड़-कपटियै इण राज में
भणाई भेळी व्हैगी।
गरूजी गरूजी नीं रैया,
नोट छापण री मसीन बणग्या।
चोटी करती चमचम
विद्या आंवती घमघम।
विद्या री देवी रूसगी रोळ राज में,
कुण हालरिया हुलरावै?
कुण साची सीख देवै,
कुण मरण बडाई रौ पाठ पढावै?
बापड़ी बणगी रजपूती
जणौ-जणौ आंख दिखावै।
रोळ राज रा राजा बण
क्यूं इतरा फनफनावौ हौ?
राहुल-सोनिया रै दरबार में भर हाजरी।
वांरा गुण-बखाण भाटां ज्यूं
क्यूं बिड़दावौ हौ?
कठै गई थारी बै जादू री काम्ड़ियाँ {छड़ियां}
क्यूं वांरी हां में हां मिलावौ हौ?
मायड़ भासा बोलतां थारी जीभड़ली
क्यूं हिचकावै है?
ओप री भासा में भासण झाड़-झाड़
क्यूं कुड़ी मौद मनावौ हौ?
मायड़ लाजां मरै इसड़ै पूतां पर
क्यूं, लाखीणी साख गमावौ हौ?
सौ क्यूं देख रह~या निजरां सूं,
फैर, माथै में क्यूं धूड घालौ हौ?
राज-काज संभै कोनी,
जद क्यां तांणी तड़फा तोड़ौ हौ?
साचै गरू सूं लेय सीख,
भगवां क्यूं नीं धारौ?
विनोद सारस्वत,
बीकानेर

Tuesday, April 20, 2010

मुख्यमंत्री जी रै नांव खुली पाती!

आदरजोग मुख्यमंत्री जी, अशोक गहलोत सा, गढ बीकाण सूं विनोद सारस्वत रा पगै लागणा मानज्यौ सा। आगे म्हनैं आप रै राज में इसी कोई खास बात निगै नीं आ रैयी है जिण सूं ओ लखाव व्है कै राजस्थान में सत्ता बदळीजी है! आप री सरकार रौ इसौ कोई काम नीं दीख रह~यौ है जिण सूं ओ लखाव व्है कै आ जनता री चुण्यौड़ी लोकतांत्रिक सरकार है। आप री टी वी अर अखबारां में घणी ही धन धन व्है रैयी है पण साची बात तो आ है कै इण सूं जनता री गाढी कमाई लाली लेखे लागण रै टाळ कीं नीं व्है रह~यौ है। टी वी अर अखबारां में लूंठा-लूठा विज्ञापन छपवाय नैं आप मन में मोटा भलांई व्हो पण इण सूं गरीब रै पेट री दाझ नीं बूझै। मतलब हांती थोड़ी अर हुल हुल घणी।
वसुंधरा राज भी आप री तर~यां ही चाल रह~यौ हो पण उण सरकार रा विकास रा काम लोगां नैं सांमी दीखै। हां आ बात साची है कै इण कामां में जम’र जीमण-चाटण व्हिया, जिणां रौ भोग तद रा राजनेतावां अर अधिकारियां कर~यौ। पण आप रै राज में तो इसौ कीं नीं दीठै, फैर भी आप री धन धन व्है रैयी है। आप रै राज में नरेगा योजना में भी इणी भांत रा जीमण-चाटण व्है रह~या है-आप घणी ही लूंठी लूंठी योजनावां रा बखाण करौ पण साची बात तो आ है कै आम आदमी री माळी हालत में कोई सुधार नीं व्हियौ।
आप री सरकार री सगळी योजनावां ही फगत रीत रौ रायतौ बणती सी लागै। हुकुम, भुखो तो धायां ही पतीजै। आप री अे योजनावां उण री भूख मेटण में पूरी तर~यां विरथा रैयी है। कवि मोहम्मद सदीक साहब री कविता मुजब ‘‘थै मजा करो महाराज आज थांरी पांचू घी में है, म्है पुरस्यो सगळौ देस और थांरै कांई जी में है। गळी, गळगळी होय गांव री बिलखै साख भरै अरे, लूचा लूंटै माल मसखरा मीठो नास करै।’’ आ कविता सदीक साहब तीसेक साल पैली लिखी ही अर आज भी हालत वा ही है इण में कोई फरक नीं आयौ।
म्हनैं साफ लागै कै लोकतंत्र अठै आय नैं हारग्यौ। राजसाही नैं लोग पाछी चेते करण लागग्या। राजसाही री वगत जिका पक्का काम व्हिया वै आज भी इण लोकतंत्र नैं चिड़ावै अर लोगां रै माथै चढ नैं बोले कै ओ राज ठीक है या बो राज ठीक हो। आ तो आप नैं भी मानणी पड़सी कै आज भी आप रै शाषण में खास थंब है वो राजसाही रो ईज है। लोकसाही मे बणयौड़ी ऊंची-ऊंची आभै नैं नावड़ण री आफळ करती अटटालिकावां कदै भी धुड़ सकै अर धुड़ रैयी है पण राजसाही रै वगत रा बण्यौड़ा जूना ढूंढा हाल तकात बजर बंट बैठा इण लोकसाही पर आंगळी उठांवता निगै आवै। लोकसाही में घणकरा सरकारी दफ्तर आज भी राजसाही रा वा ढूंढा में ईज चालै। उण वगत री राजसाही भी काळ-कसूंबै लोगां नैं रोजगार देवण रा जतन करती पण इण रै हैठळ वै पक्का काम करांवता। पण आज अकाळ राहत रा कामां में सड़कां पर सूं धूड़ौ हटावण रै टाळ कोई दूजो काम नीं व्है रह~यौ अर ओ ईज हाल नरेगा रौ है।
राजसाही रा लोग भी मानता कै भींतड़ा {गढ-कोट} ढह जासी पण गीतड़ा रह जासी। पण वांरा तो हाल भींतड़ा भी कोनी ढह~या अर गीतड़ा तो गाईजता ईज रैसी। सो हुकुम इण लोकसाही में तो म्हनैं इण दोवूं बातां में ही गोळ लागै। क्यूंकै इण लोकसाही अठै री भासा, साहित्य अर संस्कृति नैं तळै बैठावण में कोई कमी नीं राखी। अठै राजपुताना में हिन्दी थरप’र इण क्षेत्र नैं अेक चरणोई रौ रूप दे दीनौ है, जठै हरैक प्रांत रा गोधा चर रैया है अर इण गोधां नैं जै गोधा केवौ तो अै सींग औरूं मारै। अठै रा जाया जलम्या छोरा इण गोधां रै आगे मेरिट री कुश्ती में नीं टिकै अर सरकारी नौकर~यां पर प्रांतियां रै हाथां में आ ज्यावै। राज में ऊंची-ऊंची नोकर~यां में पूग’र अठै रा लोगां नैं देस भगती अर कानून रा इसा पाठ पढावै कै अठै रा राजनेता वांरै आगे पागड़ी तो पागड़ी तागड़ी खोलावण नैं भी त्यार व्है जावै।
इसौ कुजोग भोगणौ पड़ रह~यौ है अठै रा राजनेतावां नै। म्हारी बातां खारी व्है सकै, पण खरी है। आप खुद नैंम धरम नैं सैमूंडै राख’र इण साठ बरसी लोकसाही परख राजसाही सूं करोला तो आप नैं भी ठा पड़ ज्यासी। पण म्हनै लागै कै आप इण नैं भी आ कैय नैं टाळण री चेस्टा करोला कै अे सैंग सुणण में आछा लागै पण बरताव में अैड़ौ नीं व्है सकै। सौ कीं व्है सकै पण इण सारू साची ऊरमा अर हियै में अेक हूंस व्हैणी जोईजै। आगे म्हैं म्हारी सीधी बात पर आऊँ जिण सारू म्हारै हियै में अेक पीड़ है अर आ इत्ती बडी भूमिका पोळाई है। म्हैं बात करूं आपां री, थांरी-म्हारी अर इण समूचै राजपूतानै री मायड़ भासा राजस्थानी री। आज इण भासा री कांई गत व्है रैयी है आ बात आप सू भी छांनी कोनी। आप किण मजबूरी रै पांण 2003 में राजस्थान विधान सभा सूं सरब सम्मति सूं प्रस्ताव पास करवाय नैं भारत री सरकार नैं भेजायौ हो? म्हनै इण बात रौ ज्ञान कोनी। पण कित्तै दुरभाग री बात है कै राजस्थानी भासा नैं संविधान री आठवीं अनुसूचित मे भेळण में भारत री सरकार ओसका ताक रैयी है। अठिनैं आप रै राज में राजस्थानी भासा, साहित्य अर संस्कृति अकादमी अेकदम बापड़ी बणगी है, अठै नीं तो अध्यक्ष, सचिव है अर नीं ही कार्य समिति अर सामान्य सभा। अकादमी री मुख पत्रिका ‘‘जागती जोत’’ डेढ बरस सूं छप नीं रैयी है। कांई आ ईज है इण लोकराज री भासा संस्कृति नीति? म्हनैं ठा नीं आप इत्ता परबस क्यूं हो?
आज बारला मुटठी भर लोग आपां री भासा पर सवाल खड़ा कर रैया है। आप रा शिक्षा मंत्री अठै री मायड़ भासा हिन्दी बता रैया है। राजस्थान रा कवि, लेखक, हेताळू आद सगळा बोक बोक नैं आ बता रैया है कै म्हारी मायड़ भासा राजस्थानी है। इत्तौ की हुय रह~यौ है पण आप मौनी बाबा री तर~यां मून क्यूं धार राखी है? आप कोई पडूतर क्यूं नीं दे रह~या हौं? आप नैं किण बात रौ संको नैं डर है? आप छाती चवड़ी करनैं क्यूं नीं बोलो? कै म्हारी मायड़ भासा राजस्थानी है. आप हिन्दी रा इत्ता लटटु कींकर व्हैग्या? आप इण लीक नैं क्यूं नीं तोड़ौ? क्यूं नीं आप, आप रै हरैक भासण में राजस्थानी ईज बोलण रौ संकल्प लेवौ? देखां आप नैं कुण रोकै? आप माथै राजस्थान री जनता जनार्दन रौ आसीरवाद है। आस राखूं कै आप पर म्हारी इण बातां रौ असर व्हैला? अर आप हाथूंहाथ राजस्थानी भासा रौ माण बधावण रौ काम कर नैं जस रा गीतड़ा लिखावौला। नींतर म्हैं आ ईज समझूंला कै हिन्दी राजस्थान पर थरप्योड़ै अेक नूंवै उपनिवेसवाद री भासा है अर राजस्थान भारत रौ उपनिवेस है। जदि आप नैं म्हारी बातां खरी लागै तो कोई इसौ पग उठावौ कै सगळां री बोलती बन्द व्है जावै। इणी आस रै सागै। जय राजस्थान, जय राजस्थानी।


विनोद सारस्वत

Monday, April 12, 2010

दिल्ली रै कुड़कै मांय फस्यौडा राजस्थान रा मिजळा नेता!

आज म्हनैं इण बात रौ पक्को पतियारौ व्हैग्यौ कै राजस्थानी भासा नैं रिगदोळणिया फगत इण प्रदेस रा ही वै मिजळा राजनेता है जिका वोटां री फसल तो इण भासा में काटै, पण विधायक अर मंत्री बणतां ही आप री औकात भूल जावै। कुल मिलाय नैं भारत रा नेतां राजस्थान रै नेतावां नैं जिण कुड़कै में फसा’र छोडग्या आज तकात वै उण कुड़कै सूं बारै निकळ नीं सक्या है। हिन्दी रा गंंुण गावणिया इण नेतावां रा पौत नैं इणा नैं कितोक ज्ञान है आज सगळौ चवड़ै आयग्यौ। आज रै भास्कर में छप्यै अेक समाचार मुजब राजस्थान रौ जूनौ ’िाक्षा मंत्री काळी चरण सर्राफ आ कैवै कै हिन्दी रास्ट्रभासा है! अबार रौ ’िाक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल आ कैवै कै हिन्दी राजस्थान री मातृ भासा है।
दूजै कांनी राजस्व मंत्री हेमाराम आप री न्यारी पूंपाड़ी बजावंता आ कैवै कै राजस्थानी भासा हरैक ठौड़ न्यारी-न्यारी बोली जावै। अबै इण कुमाणसा नैं आ कुण समझावै कै प्रकृति रौ नैम है कै 12 कोस पछै बोली बदळ जावै अर ओ नैम संसार री हरैक भासा पर लागू व्है। इण लोगां नैं ओ भी ज्ञान कोनी कै भासा अर बोली में कांई फरक व्है। भासा अर बोली मे फरक नी कर सकै वै गैलां में कांई घटै। जिण भांत अेक-अेक मिणियो जोड़ण सूं माळा बणै, उणी भांत कैई बोलियां रै पांण भासा बणै अर जद इण में साहित्य रौ सिरजण व्है वा भासा बण जावै। हिन्दी भासा में बोलचाल रा 97 पंजीकृत सरूप काम में लेईजै अर राजस्थानी में 73 सरूप काम मे लेईजै इणी भांत असमिया में 2, बंगला में 15, गुजराती में 27, कन्नड़ में 32, कोंकणी में 16, मलयालम में 14, मराठी में 65, तमिल में 22, तेलुगु में 36, उर्दू में 9 क’मीरी में में 5 नेपाळी में 4, संथाळी में 11, पंजाबी में 29, सिंधी में 8, बिहारी में 34, अे सगळा वां बोलियां रा न्यारा-न्यारा सरूप है अर इण बोलियां सूं अे भासावां बणीजी है। इण लोगां नैं राजस्थानी रै लूंठै साहित्य रौ अंगाई ज्ञान कोनी। आखी जगत बिरादरी इण भासा री धाक मानै। राजस्थान री यूनिवर्सिटिया में तो इण रौ साहित्य पढाईजै ई है इण रै सागै ही अमरीका री सिकागो यूनिवर्सिटी में भी पढाईजै। अमरीका री ओबामा सरकार भी आप रै अठै इण भासा नैं मानता दे राखी है। आ तो वा भासा है जिण में मीरां मेड़तणी गिरधर गोपाळ नैं रिझायौ है, इणी भासा में भगवान करमा रौ खीचड़ौ खायौ है। इण भासा रौ बखाण कठै तांई करां इण रौ कोई पार कोनी। पण इण सूं ओ साफ लखाव व्है कै लारलै साठ बरसां सूं जिण हिन्दी माध्यम सूं अे नेता भण्या-गुण्या है वांरौ डोळ नै वारौ ज्ञान चवडै+ आयग्यौ है। इण प्रदेस रा नेतावां रौ ही ज्ञान जद इत्तौ ओछो नैं कंवळौ है तद सोचो कै इण प्रदेस में इण अधकिचरी भणाई में भण्या आम लोगां रौ ज्ञान कित्तौक बध्यौ हुसी। अे मिजळा नेता नीं चावै कै प्रदेस रा टाबर आप री उण वीर भासा में भणै, जिण रै रसपाण सू खागां खड़क उठै अर लोग बळती लाय में कूद पड़ै। जदि ओ हुंवतो तो आज आ विगत नीं होवंती, इण रोळ राज रा टप्पू कदै चकीज जांवता अर मायड़ भासा रौ अपमान भी नीं होंवतो अर लोग इण अन्याव नैं मून धार नैं नीं सैंवता। वै खागां लेय’र इण रोळ राज रै सांमी आ भिड़ता। मतलब भारत रा राजनेतावां नूंवै उपनिवेसवाद री अेक भासा ’’हिन्दी’’ माडाणी अठै रा लोगां पर थरपदी। किणी भी संस्कृति नैं खतम करणी है तो अेक सीधो सो हथियार है कै उण री भासा नैं खतम कर दो, संस्कृति रा भट~टा मतोमत ही तळै बैठ जासी। राजस्थान रा राजनेता आप री चाल में कामयाब व्हैग्या। इण नेतावां री लूण हरामी रौ अेक नमूनौ निजर है- कै किण भांत इण लोगां हिन्दी रा पांवडा इण प्रदेस में पधरावण रा जतन करण सारू राजस्थान री जन गणना रा आंकड़ा में हिन्दी नैं पटराणी बणावण रा सगळा ं पड़पंच रच लिया। 1951 री जनगणना मुजब राजस्थानी भासा बोलणियां री संख्या 1,34,01,630 ही अर 1961 में राजस्थान री आबादी में 26 प्रति’ात रौ बधापौ व्हियौ पण राजस्थानी बोलणियां री संख्या में फगत 11 प्रति’ात रौ ही बधापौ दीखै। 1961 री जन गणना में राजस्थानी बोलणियां री संख्या 1,49,33,016 दिखाईजी है। इणी भांत आवण वाळी हरैक जन गणना मे राजस्थानी बोलणिया री संख्या नैंं अे बटटै खाते में नाखता थकां इण नैं हिन्दी रै खाते में खतावंता-खतावंता दिल्ली री इण आस नैं पूरी कर दी कै राजस्थान हिन्दी भासी प्रदे’ा है। मतलब राजस्थान नैं दिल्ली रौ उप निवे’ा बणावण री सगळी जरूरतां पूरी करली जद ही तो राजस्थान रौ ’िाक्षा मंत्री कैवै कै राजस्थान री मातृ भासा हिन्दी है। इण भांत राजस्थान नैं अेक चरणोई बणा’र समूचै भारत रा गोघां नैं अठै चरण री खूली छूट मिलगी। राजस्थानी भासा नैं आठवीं अनुसूचि में भेळण री मांग बरसां सूं चालती रैयी है, अर राजस्थान री विधान सभा 2003 में अेक प्रस्ताव सरब सम्मति सूं पारित कर नैं भेज चुकी है ओ प्रस्ताव भी सरकार किण मजबूरी रै पांण पारित करवायौ आ बात जगचावी व्है चुकी है। राजस्थानी भासा आठवीं अनुसूचि में जद कदै भी भिळै, पण राजस्थान सरकार खुद कनैं इण भांत रा अधिकार है कै वा अेक रात में प्राथमिक ’िाक्षा रौ माध्यम राजस्थानी नैं बणा सकै। पण सरकार ओला रैयी है अर कोई नैं कोई नूंवौ विवाद खड़ो कर नैं इण मामला नैं Åंडै कुअै में न्हाखण सारू ताफड़ा तोड़ रैयी है। राजस्थान रा राजनेता आम जन री नीं सुण नैं वां अधिकारियां री सला पर काम कर रैया है जिका नीं चावै कै राजस्थानी अठै रै राजकाज अर ’िाक्षा री भासा बणै। नेतावां खनै आप री सोचण-समझण री सगळी Åरमा खतम व्हैगी। वै तो उणी मारग पर चालै जिका वांरा पीअे अर सेकzेटरी बतावै। जिका सगळा लोग बारै रा है, कैई अेक राजस्थानी मूळ रा है भी तो वांरी कठैई चलै कोनी। अे नेता इण अधिकारियां रै हाथं री कठपुतलियां है, अे जिंया नचावै अै बिंया ई इज नाचै। फैर तो अठै रौ राम ही रूखाळौ है अर इण भासा में कीं तो इसौ है नैं आप री वा लूंठाई है कै अे मिजळा नेता अर वै बारला अधिकारी लाख फिटापणौ करलौ इण भासा री लूंठाई अर अमरता नैं कम नीं कर सकै।
विनोद सारस्वत,
बीकानेर

Sunday, April 11, 2010

राज री मानता री बाट जोंवती राजस्थानी भासा!

भारतीय संसंद में 1963 अर 1967 में करीज्यै फोरबदळ मुजब भारत रौ संविधान देस री राज भासावां अर राज्य री राज भासावां नैं रास्ट्रभासावां सीकार करण रो फेसलो लेवे अर उण में किणी राज्य री आबादी रै कीं भाग में बोलीजण वाळी भासा रै वास्तै खास बंदोबस्त करै इण रै सागै ही भांत-भांत री अदालतां रै काम में बरतीजण वाळी भासावां रै बधापै रौ बन्दोबस्त भी करै। संविधान री आठवीं अनुसूचि में भिळयौड़ी भासावां है जिणा नैं ‘‘भारत री भासावां’’ कैर्इ्रजै। इणा में घणकरी भारत री बडी अर सैसूं लूठी जातियां री भासावां है, वांनै पैली ठौड़ दिरीजी है।
संसद में अंग्रेजी नैं आठवीं अनुसूचि में भेळण रै प्रस्ताव पर बोलतां तद रा भारत रा प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू कैयो कै आपां रा संविधान लिखणियां ओ तै करतां घणी सूझ री ओळख कराई कै आठवी अनुसूचि में भिळयौड़ी सगळी भासावां नैं रास्ट्रभासावां मानणी चाईजै। (जवाहर लाल नेहरू रौ भासण, 1957-1963 (अंग्रेजी में), भाग-4 पांनावळी-53, 65)
रास्ट्रभासावां री आ परिभासा नीं तो राजनीतिक क्षेत्र अर नीं ही आम जन में घण चावी है। उतरादै भारत खासकर (राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेस, मघ्य प्रदेस अर बिहार) रा लोग हिन्दी नैं रास्ट्रभासा मानै, जदकै हिन्दी नैं हाल राज भासा रौ दरजौ मिल्योड़ौ है, रास्ट्रभासा रो नीं। घणकरा नेतावां अर भण्या-गुण्या लोगां नैं भी हाल आ निगै कोनी कै हिन्दी रौ संविधान मांय कांई दरजौ है? गैर हिन्दी राज्यावां वाळा हिन्दी नैं तो मानै इज कोनी क्यूंकै वांरै प्रदेसां में सगळो काम-काज वांरी भासावां में व्है अर अंग्रेजी रौ बरताव मोकळायत में करै। वां लोगां में आपू आप री मायड़ भासा रै प्रति घणौ हेत नैं चाव है।
आठवीं अनुसूचित में सामल भासावां नैं प्रादेषिक भासावां भी कैईजै क्यूंकै इणा मांय सूं घणकरी भासावां कैई राज्यावां री भासावां पण है। पण इण आठवीं अनुसूचि में संस्कृत भी भैळी है, जिण नैं भारत में साहित्यिक, सांस्कृतिक अर घार्मिक रीत-रिवाजां रौ खजानौ अर कैई भारतीय भासावां रै सारू सबदां रौ खजानौ भी मानीजै।
आठवीं अनुसूचि में सिंधी, कष्मीरी अर नेपाळी भी मिळयौड़ी है, जिणा में कष्मीरी री हालत घणी माड़ी है।
भारत रै संविधान में कष्मीरी भी भारत री एक रास्ट्रभासा है। पण इण रो दुरभाग देखो कै कष्मीर रै संविधान में उण नैं राज्य री राजभासा नीं मानीजी है। ध्यानजोग है कै भारत रा दूजा राज्यावां में कष्मीर री तरयां आप रो न्यारौ संविधान नीं है। कष्मीर री राजभासा उर्दु है, कष्मीरी नैं दूजी डोगरी, बल्ती, दरद, पहाड़ी, पंजाबी, लददाखी रै जोड़ अेक प्रादेषिक भासा रो दरजो मिल्यौड़ो है। (संदर्भ-कष्मीर रो संविधान, (अंग्रेजी में) पांनावळी-112) कैई लिखारां कष्मीरी नैं राजभासा रै रूप में मानता देवण री मांग करी ही पण कष्मीरी री हालत में कोई सुधार नीं आयो। आप रै घर में ही बापड़ी बणगी-कष्मीरी।
किणी भासा नैं संविधान री आठवीं अनुसूचि में भैळणौ फगत माण री बात कोनी। इण सूं विकास री नूंवी दीठ रा मारग खुलै अर उण रै काम-काज रौ बिगसाव चौगणौ व्है जावै। संघ सेवावां री परीक्षावां में फगत आठवीं अनुसूचि में भिळयौड़ी भासावां रो ई वपराव करयो जा सकै। इण भासा नैं बोलण वाळा नैं आछी तिणखा वाळी चाकर्यां मिलण में सबीस्तौ रेवै। भारत सरकार आठवीं अनुसूचि में भिळयौड़ी भासावां रै सैंजोड़ विकास सारू अेक खास समिति री थरपना कर राखी है। (हिन्दी अर संस्कृत नैं टाळ’र जिकी खास परिसदां रै हैठळ आवै)
बरसाऊ बजटां अर पांच बरसी योजनावां में इण भासावां रै बिगसाव सारू घणी लूंठी रकम खरच करीजै। छापाखाणा, सिनीमा उधोग अर रेडियो प्रसारण री अबखायां पर विचार करती वगत सैसूं जादा ध्यान इणी भासावां रै प्रकासणां, सिनिमा अर रेडियो प्रसारण कांनी दियौ जावै। आठवीं अनुसूचि में भिळयौड़ी भासावां में टाबरां सारू सांवठी पोथियां, साक्षरता अभियान सारू भणाई रा साधनां अर पढण वाळी पोथ्यां अर साहित्यिक कृतियां पर नैमसर पुरस्कार भी दिरीजै।


भासावां री इण सूचि रौ राजनीतिक फायदौ भी है। भारत रै संविधान रै अनुच्छेद 344 मुजब रास्ट्रपति कानीं सूं आठवीं अनुसूचि में भिळयौड़ी भासावां री अबखायां पर विचार करण सारू खास आयोग री नियुक्ति करीजै। दूजै सबदां में इण भासावां नैं दूजी भासावां री कूंत में खास अधिकार मिल्यौड़ा है। ठीक उणी भांत जिण भांत किणी राज्य री राज भासा री विधिक थापना रौ मतलब प्रषासनिक, विŸाीय अर बीजा अधिकार मिल्यौड़ा व्है।
तथाकथित आदिवासी भासावां अेक न्यारै ही कङूम्बै रौ निर्माण करै। रास्ट्रपति रै अध्यादेष सूं जन जातियां री सूचि में भेळीजण वाळी कैई जातियां रै अेक कङूम्बै रै प्रतिनिधियां नैं राज री चाकरी अर ऊंची पोसाळां में भरती व्हैण अर संसद-विधान मंडला अर दूजी थरप्यौड़ी संस्थावां रै चुणाव में खास सुविधावां मिळै, जिकी संविधान में मंडयौड़ी है। पण इण सारू इण भासावां नैं प्रदेस सरकारां री मानता होवणी जरूरी है जिण सूं सरकारी अभिकरण इण भासावां में पोथ्यां छाप नैं वांनै प्राथमिक षिक्षा व्यवस्था में अर खास क्षेत्रा रै सरकारी काम काज में वपराव कर सकै।
उदाहरण सारू आसाम री जन जातीय भासावां री सूचि में 35 भासावां है पण राज्य सरकार ’’सरकारी पत्र-व्यवहार सारू फगत च्यार भासावां खासी, गारो, मीजो, अर मिकिर नैं ही मानता दे राखी है। उड़ीसा में 62 जन जातियां अर 25 आदिवासी भासावां है जिण में 12 भासावां नैं उण परीक्षावां री भासा सरूप मानता दे राखी है।
इण परीक्षावां में पास व्हैण वाळा राज रा चाकरां नैं पुरस्कार औरूं देवै। (संदर्भ- टाईम्स ऑफ इण्डिया, 27 जून, 1966) केन्द्र सरकार रा अभिकरण भी इणी मतै काम करै। 1966 में आधुनिक भारतीय भासावां रै बिगसाव नैं सैंजोड़ करण वाळा सार्वजनिक संगठणा नैं आर्थिक सायता देवण सारू अेक निरणै लिरीज्यौ हौ। ‘‘आधुनिक भारतीय भासावां ’’ में हिन्दी अर संस्कृत नैं टाळ आठवीं अनुसूचि में भिळयौड़ी सगळी भासावां अर ‘‘आदिवासी भासावां’’ रै सागै ‘‘मानता मिल्यौड़ी’’ दूजी भासावां आवै। सो किणी भासा नैं ‘‘मानता नीं देवण’’ रौ अरथ उण नैं सरकार रौ समर्थन कोनी। इण भांत री भासावां रै बिगसाव अर पांवडा पसारण री सगळी जम्मेवारी इण रै बोलणियां अर हेताळूवां रै कांधै पर ही आवै, जिका आप रै बूकियां रै पाण इण रौ जुगाड़ करै।
आ सागी गत ‘‘राजस्थानी भासा’’ री है, दूजै अरथ में इण लोकतंत्र में आ दादागिरी नैं लूंट है अर करोड़ू राजस्थानियां री भावनां रौ अपमान है। क्यूंकै देस रै हर भांत रै बिगसाव में राजस्थानी लोग आगे रैया है देस री समूची अर्थ व्यवस्था रौ घणकरौ भार राजस्थानी लोगां रै खांदै पर है। तद आ बात किŸाी जचती है? कै राजस्थानी लोगां री कमाई रौ हिस्सौ भारत रा दूजा प्रदेसां में कानून री आड में किण भांत लुंटाईज रैयौ है अर अठीनैं उणा रै खुद रै प्रदेस में वांरी मायड़ भासा राजस्थानी लारलै 63 बरसां सूं इण री बाट जो रैयी है। आखर सरकार कद सुणैली राजस्थानियां री आ दाद पुकार?
भारत में भासाई अबखायां रौ न्यावजोग नैम किणी हद तांई घणौ विरोधात्मक है। अेक कांनी भासाई विधि निर्माण रौ थंब जनतांत्रिक अर समानता रै अधिकार पर जोर देवै, तो दूजी कांनी राजस्थानी जिसी भासावां रै साथै इत्तौ अन्याव! राजस्थानी में अेक कैबत रै मुजब ठावा -ठावा नैं टोपियां अर बाकी रा नैं लंगोट! कठै है राजस्थानियां नैं समानता रौ अधिकार? भारतीय संविधान रै अनुच्छेद 29 में ओ प्रावधान है कै नागरिकां रै किणी घटक नैं जिण री आप री खास भासा, लिपि अर संस्कृति है उण री रिछपाळ रौ अधिकार व्हैसी। अनुच्छेद 29 रै खंड 2 अर अनुच्छेद 30 मांय पोसाळा में भासा रै आधार पर भेद नैं नाकस कर्यौ है। अनुच्छेद 35 में साफ कैईज्यौ है कै हरैक मिनख नैं किणी भी सिकायत रै निवेड़ै सारू संध या राज्य रै किणी भी अधिकारी या प्राधिकरण नैं संध में या राज्य में किणी भी सूरत में बरतीजण वाळी किणी भी भासा में अभियोग देवण रौ अधिकार है।
दूजी कांनी भांत भांत री भासावां नैं न्यारौ-न्यारौ दरजो देवणौ हकीकत में कैई भासावां सारू खास अधिकार व्हैणै अर दूजां रै सारू कमी नैं दरसावै अर आ भेद भाव री हालत कळै री मूळ जड़ है। लोकतांत्रिक दीठ सूं बण्यौ कोई भी भासा संस्कृति कानून दूजी भासावां नैं इण भांत री असमानता नैं ही थापित करै। ओ हळाहळी लोकतंत्र रौ मजाक है! अन्याव अर असमानता रौ छेकड़लो नाकौ है।


विनोद सारस्वत (बीकानेर)

{नूवी राजस्थानी कहाणी}हरखियो चमगूंगो व्हैग्यौ !!

म्हैं हूं हरखू,  मां बाप रो मोबी बेटो। म्हारौ जलम राजपुतानै रै बांगद्सर  गाँव  में 4 जुलाई, 1948 नैं धोळै दोफारै ढाई बज्यां व्हियौ।  म्हारै जलम रौ उच्छब घणै लाडां-कोडां मनाईज्यौ। म्हैं जिण वगत मां री ओझरी में पळ रैयो हो उण वगत राठौड़ी राज खतम व्हैग्यौ हो नैं इण राजपुतानै रौ नूंवै जलम्यै देस में विलय हुयग्यौ। राठौड़ी राज रै जावण अर नूंवै आजाद देस रै बायरै बिचाळै मां री ओझरी में लटपटावै हो उण वगत म्हारै गांव में भी नूंवी आजादी अर नूंवै देस में भिलन रे हरख में ढोल धुराईजै हा। इण गांव में म्हैं सगळा सूं न्यारौ-निरवाळौ हो। म्हारो नाव जरुर हरखियो हो पण हरख म्हारे नेड़े आगे ई नी हो.
म्हनैं जलम री घूंटी किण पाई म्हनैं इण रौ हाल भी ज्ञान कोनी हो। म्हारै मांय गांव रा सगळा टाबरां सूं न्यारा संस्कार मतोमत ही फळै हा। म्हारा बापजी घणा सीधा-साधा नैं मैंणत-मजूरी कर नैं धाकौ धिकावै हा। म्हैं म्हारी मां नैं घणी बैळां पूछ्या करतो ‘‘मां म्हैं सगळा सूं न्यारौ-निरवाळौ क्यूं हूं ? अर म्हारा हाव-भाव नैं बोली-चाली न्यारा कींकर है? म्हैं जद भी म्हारी मां नैं ओ सवाल पूछतो, मां कोई पडूतर नीं देवंती अर आप री पूठ फोर लेंवती। म्हैं मां रै इण बरताव सूं मन ई मन में घणौ मोसीजतो। म्हारै सवाल रौ पडूतर किणी रै खनै नीं हो।
ु अेक दिन चाणचकै गेलै मांय दाई मां मिळगी, म्हैं उण रौ गेलौ रोक नैं म्हारै मन री बात उण रै सांमी परकासी। अेकरकी तो वा ओला लेंवती थकी टाळमटोळ करती रैयी, जद म्हैं उण नैं उण रै नैम-धरम री सौगन देय दी तो वा ढीली पड़गी अर मन री गांठा खोलण ढूकगी।
बा बोली! आज तूं म्हारै नैम-धरम री सौगन देय दी तो सुण मोटयार! म्हैं थनैं इस्सै राज री बात बताउं, पण थनैं छाती काठी राखणी पड़सी अर इण नैं विधी रो विधाण समझ’र केवटणो पड़सी। म्हैं कैयो दाई मां आप बतावौ तो खरी कै इस्सी कांई बात है? जिकी बरसां सूं म्हारै हिवड़ै में लाय लगाय राखी है अर मनड़ै मांय घणी उथळ-पुथळ मच्यौड़ी है!
तद सुण हरखा !! थारी मां रा चाल-चलण ठीक नीं हा, थारौ बापू काम में इत्तौ लैलीन रैंवतो कै उण नैं घर कांनी ध्यान देवण रौ वगत ईज नीं मिलतो। उण वगत गांव में आजादी रा हाका करणिया कैई जणा नित उगै गांव में आंवता रैंवता। म्हैं जिसी सुणी उण मुजब थारी मां अेक परदेसी रै माया-जाळ में फस्यौड़ी ही अर उण रै सागै खांवती-पींवती ही अर अेक दिन तो म्हैं म्हारी निजरां सूं इण नैं देखी तो म्हनैं आभौ फाटतो सो दीख्यौ अर इत्ती सरम आई कै कदास आ धरती माता फाट ज्यावै अर म्हैं इण में समा ज्यावूं!
म्हनैं देखतां ही वो परदेसी तो उठै सूं तेतीसा मनायग्यौ अर उण दिन पछै तो वो गांव में ईज नी दीख्यौ। थारी मां लाज-सरम सूं दोवड़ी व्हियौड़ी आंसूड़ा राळण लागगी। म्हारा पग काठा झाल लीना अर आप रौ दुखड़ौ सुणावती कैयो - काकीसा, वो परदेसी घणौ छळगारौ हो, म्हनैं भोळी-भाळी नैं किंया आप रै आंटै में फसाली म्हनैं लखाव ही नीं पड़यौ। अबार म्हारै पेट में उण री तीन मईनां री सैनाणी पळै। उण रै मन री मांयली पीड़ म्हनैं साफ दीखै ही, बा आगे बोली काकीसा! म्हारी जिसी कुळ-कळंकी नैं जीवण रौ कोई हक कोनी। इत्तो कैय नैं बा गांव रै जोहड़े कांनी व्हीर हुंवती कैयौ अबै जीवण में कोई भदरक कोनी। म्हैं इण जोहड़ा में डूब नैं म्हारै पाप नैं धोवूंला।
म्हैं उण रौ बूकियौ पकड़ नैं रोकी अर कैयो-अबै हुगी जिकी तो हुगी उण नैं तूं जाणी का म्हैं जाणी। उण आवण वाळै जीव नैं मार नैं पाप री भागी क्यूं बणै? म्हारै हिंवळास सूं बा थोड़ी संभळी अर मरण रौ मतो टाळ दियौ अर म्हनैं कैयो-काकीसा आप नैं म्हारी सोगन है जै इण बात नैं किणी रै आगे परकासी तो। म्हैं उण नैं भरोसो दियो जद वा मानी। इत्तो सुणतां ही हरखियो चमगूंगो सो व्हैग्यौ, दायी मां उण नैं घणौ ही हरखा, औ हरखा  कैय नैं बतळायौ पण वो अेकदम मून धारली। वां दोवां नैं इण भांत देख नैं गांव रै टाडै उपर लोगां रौ मगरियो सो मंडग्यौ। हरैक रै मूंडै सूं फगत अेक ही बोल नीसरै- हरखा , ओ हरखा , हरखा, ओ हरखू  पण पाछौ कोई पडूतर नीं मिलै। पछै अेक टेर औरू सुणीजै! वा स्यात उण रै घर-परिवार अर कुटुम्ब-कड़ूम्बै आळां री ही। हरखिया    रै .......... ओ हरखिया ....... हरखिया रै ................ ओ हरखिया ............... हरखिया रै -------------- हरखिया रै -----------.!
विनोद सारस्वत,
बीकानेर

Friday, April 9, 2010

राजस्थान रै रूळियार राज रौ देखो खेल!

राजस्थान री सरकार रै षिक्षा मंत्री मास्टर भंवरलाल रौ आज रै अखबारां में छपियौ बयान कै ‘‘हिन्दी राजस्थान की मातृ भासा है’’। इण बयान सूं साफ लखाव व्है कै राजस्थान रै शिक्षा  मंत्री नैं इण बात रौ इज लखाव कोनी कै उण री मायड़ भासा कांई है? अर ओ मिनख आप रै नांव रै आगे मास्टर सबद औरूं लगावै जिकौ मास्टर सबद नैं भी लाजां मारण वाळो है। कोई भंवरलाल सूं पूछै कै थारै घर री धरयाणी, थारी मां अर बाप आ भासा बोल सकै। कांई थांरी मां थनै हिन्दी में ही हालरिया हुलराया हा? थू जद सोवतो नी हो जद हाउडे री  कहाणी सुणाई वा हिंदी में ही? वाह रै भंवरलाल थूं तो सफां ई गत गमाय दी। थूं नांव रै आगे मास्टर सबद लगावै उन  नैं भी लाजां मारदयो। ठा नीं थारै पढायोड़ा टाबर भी किसाक भण्या हुसी?
थूं तो राजनीति रौ कक्को सीख’र मंत्री कांई बणग्यो मायड़ भासा नैं ई भूलग्यौ, मां सबद नै भी लाजां मार दियौ। इतिहास कदैई माफ नीं करैला। राजस्थान रा मुख्यमंत्री री अकल सरावौ कै मायड़ भासा रौ माण गमावणियै नैं षिक्षा मंत्री कांई जाण नैं बणायो? कांई करै बापड़ो गहलोत उण नैं कोटे रै हिसाब सूं मंत्री बणावणो पड़ियो, क्यूंकै ओ रोळराज बिना कोटे रै नीं चालै।
जदि राजस्थान रै मुख्यमंत्री में थोड़ी सी सरम भी बाकी है तो वांनै चाईजै कै इसै मंत्री नैं हाथूंहाथ मंत्रीमंडल सूं बारै काढै। जिकौ मुख्मंत्री राजस्थान री विधान सभा सूं राजस्थानी भासा नैं संविधान री आठवी सूचि में भेळण रौ प्रस्ताव सरब सम्मति सूं पारित करायो हो जद वांरौ षिक्षा मंत्री इण भासा रौ माण कम करण रौ काम क्यूं कर रैयो है। जद सगळा लोग आ जाणै कै हिन्दी राजस्थान प्रदेस री राज भासा है अर राजस्थानी लोगां पर भारत री सरकार माडाणी थरपी है। राजस्थानी अठै रै लोगां री मायड़ भासा है अर उण री मानता नैं लेय’र आंदोलन चाल रैयो है तो शिक्षा  मंत्री रौ बयान आग में घी घालण रो ईज काम करैला। जय राजस्थान जय राजस्थानी।
विनोद सारस्वत,
बीकानेर 

Wednesday, April 7, 2010

आर्याव्रत सूळी चढ्यो दो नेतावां री जिद री धार!

जिण गत दिनूंगै सूं दुपैर, दुपैर सूं सिंझ्या छिंया बदळै है,
मांझळ रात रै पछै नित उगे परभात बदळै है।
उणी गत बदळाव ई  संसार रौ नित नैम बदळै है।
बरस उगणीसै मांय आर्यावत में अेक आंधी सी उमटी ही
अंग्रेज राज रै विरूद्ध दकाळ अेक उठी ही।
नित रा चालता चाळा लोगां नैं घण भरमावै हा।
आजादी रै हाकै सागै लोग बावळा बण घोरावे हा।
कूड़ कपटिया नेता घण जलमिया, वै आप री मोद मनावै हा।
सुभास बोस, भगत सिंह, आजाद सरीखा सूरमा
गोरा नैं घणा छिजावै हा।
नरम दळ-गरम दळ रा पाळा में बंटी कांग्रेस
नित नूंवा भेख बणावे ही।
विलायत सूं आय गांधी बाबो सगळां नैं
अहिंसा रौ पाठ  पढावे हा.
सूट-बूट छोड लंगोटी रै साथै डांग रौ टेको न्यारौ लगावै हा।
सुभास बाबु बण्या कांग्रेस पाटवी, नेहरू नैं अंगाई नीं सुहावै हा।
कूड-कपट रचा गोरां साथै, सुभास बाबु नै निजरबन्द धरा दीना।
पण गोरां री आंख्या में धूड़ न्हाख, सुभास बाबु छूमंतर व्हैग्या।
नेहरू री आस फळगी, इब तो इण जंगळ में एकलो ही द्डूकुला ।
पण बिचाळै दाळ-भात में मूसळचन्द बण जिन्ना रो जिन्न पगटयो।
नेहरू अर जिन्ना दोवू बूकिया चढा म्हैं-म्हैं री रट लगावै हा।
महात्मा गांधी डोकर बिचाळै, हाथ हिलाय दोवां नैं समझावै हा।
समझावणी रा घासा दोवां रै कानां सूं उपरकर निसरै हा।
उंचै आसण बैठयो लाट साहब खाख पिदावै हो।
वो बोल्यो गांधी बाबा इब तो दो देस बणैला।
एक में नेहरू तो दूजै में जिन्ना राज करैला।
दोवां रै मन रा लाडू फूट पड़या, मुंडै सूं लाळां पड़ण लागी।
आर्याव्रत सूळी चढग्यो दो नेतावां री जिद री धार  पर।
जबर मारकाट मची धरणी पर मिनखापण सरम गमावै हो।
मुस्लिम लीग अर आर एस एस मौत रा नाच नूंवा नचावै हा।
प्रजा परिसद जैड़ा संगठन आप री डफली न्यारी बजावै हा।
देवनागरी में लिखण रा फरमान सुणा,
गांधी री टेर में टेर मिलावै हा।
राजपुतानै में भी इण डाक्यां रा पग मंडग्या
आजादी रै जयकारै साथै छांन नूंवी सजावै हा।
राज राठौड़ी बरजै, क्यूं माथै राख घालौ हो?
थै म्हारा  हो, पण कांग्रेसियां ज्यूं क्यूं रोळ मचावो हो?
आजाद आपणो राजपुतानो  क्यूं ढपला कर नैं स्यान गमावो हो?
इण घोर-घणघोर आंधी में राजा जी भी ढीला पड़ग्या।
सदियां सूं आजाद राजपुतानो टंटाटेर हुयग्यो
इण भारत देस रा गुलाम बणण नैं त्यार व्हैग्यो।


विनोद सारस्वत,
बीकानेर

Monday, April 5, 2010

भूंड री भागीदार बणती भारत सरकार!

भारत री सरकार राजस्थानी भासा नैं भारत रै संविधान री आठवीं अनुसूचि में नीं भेळ नै भूंड री भागीदार बणण रो कुजोग भोग रैयी है तो दूजी कांनी राजस्थान री अशोक  गहलोत सरकार भी इण कांनी सूं मूंडो मोड़ लियो लागै अर राजस्थानी भासा, साहित्य, अर संस्कृति नै तळै बेठावण में कोई पाछ नीं राख रैयी है। जिण रो सैसूं लूंठो सबूत ओ है कै राजस्थानी भासा, साहित्य अर संस्कृति अकादमी रो सगळो काम ठप पड़यो है नै अठै सूं छपण वाळी मासिक पत्रिका जागती जोत लारलै डेड बरस सूं छपण री बाट जो रैयी है।
अठै नीं तो अध्यक्ष है अर नीं ही कार्य समिति अर सामान्य सभा। इण चक्कर में नीं तो नूंवी किताबां ही छप रैयी है नै नीं ही बरसाऊ दिरीजण वाळा पुरस्कार दिरीज रैया है। इण रो सालीणौ बजट इयां इज लाली लेखे लाग रैयो है जिण री नीं तो कदैई ऑडिट व्है अर नीं ही कोई पूछताछ। इण अकादमी में अबार आंधा पीसै नैं कुता खावै जिसी हालत हुयोड़ी है इण रो रांधण कुण खावै नैं कठै जावै? कोई बतावणियो कोनी मिले। अठै पांच कर्मचारी लागौड़ा है जिणा रै कनै कोई काम नी होवण सूं वै भी आप री हाजरी बजा नैं आप री तिणखा पक्की कर ले। कुण कद आवे, नैं कद जावे? किणी नैं किणी रो ठा कोनी।
राजस्थानी भासा री मानता री बात अबै गांव गळी सूं विधान सभा अर संसद तकात में गूंजे अर इण नैं लेय नैं समूचै भारत भर में बहस नैं चरचावां चाल रैयी है। लारलै दिनां मीडिया क्लब ऑफ इंडिया में भी इण नैं लेय’र सागीड़ी बहस व्ही जिण में सगळा लोगां मान्यो कै राजस्थानी भासा री मानता नैं घणा दिन रोक नैं नीं राखी जा सकै अर भारत री सरकार राजस्थानी भासा नैं मानता नीं देय नैं राजस्थानियां पर अन्याव कर रैयी है। इण बहस में सैसूं बडी बात आ निकळ नैं आयी कै हिन्दी राजस्थानी लोगां पर थरप्योड़ै एक नूंवै उपनिवेसवाद री भासा है अर राजस्थानी भासा नैं आप रो माण-संनमान नीं मिल्यो तो बो दिन अळगो कोनी जिण दिन राजस्थानी लोग हिन्दी रै विरोध में सड़कां पर आय नैं भारत रै इण उपनिवेसवाद रो विरोध करैला।
आपां रा लोग नैं उतरादे भारत रा घणकरा लोगां रै मन में ओ अेक कूड़ो बैम है कै हिन्दी ‘‘रास्ट्रभासा’’ है। इणी कड़ी में अेक बहस रो विसय हो-‘‘क्या हिन्दी राजभासा सै रास्ट्रभासा की ओर अग्रसर हो रही है या राजनीति ने इसे अपने मार्ग से भटका दिया है?’’ इण पर घणी लांबी चाली बहस में आ बात निकळ नैं आयी कै हिन्दी रास्ट्रभासा कदैई नीं बण सकै। क्यूंकै पैली बात तो आ दिखणादे भारत अर उतराद-पूरब रा परदेसां में कठैई किणी रूप में नीं वपराईजै। दूजी बात कै इण नैं मायड़ भासा रै रूप में बोलणिया कोई कोनी। तीजी बात भासा विज्ञान री दीठ सूं किणी भी कसौटी पर खरी नीं ऊतरे। चोथी बात इण में अेकरूपता री जाबक कमी है नैं आ खड़ी बोली रै सागै उर्दू री भेळप अर अरबी-फारसी रै मिश्रण सूं बणी अेक खिचड़ी भासा है जिकी बोल-बतळावण में तो काम आ सकै पण राज-काज नैं कोट-कचेड़ी री भासा नीं बण सकै।
छेकड़ में इण बहस रो नतीजो ओ निकळयो कै भारत सरकार नैं वैदिक भासा संस्कृत नैं रास्ट्रभासा रै रूप में मानता देवण री चेस्टा करणी चाईजै। क्यूंकै संस्कृत भासा सगळी भासावां री जणनी है अर इण रो कोई परदेस में विरोध नीं व्है सकै। इण रै सागै ही आ बात भी आई कै सरकार धर्मनिरपेक्षता री आड लेय’र इण नैं मानण सारू त्यार नीं हुवैला। सरकार त्यार हुवैला जद हुवैला पण ओ सवाल आज भी आप री ठौड़ पर खड़यो है कै इण देस री कोई एक तो रास्ट्रभासा व्हैणी चाईजै। इण में म्हारौ कोई बघार नीं है, जिण लोगां नैं इण बात रो पतियारो नी व्है, तो वै मीडिया क्लब ऑफ इण्डिया री वेबसाइट पर जाय नैं इण नैं परतख देख सकै।
मानता रै इण आंदोलन रै इतिहास में पैली वेळां हिन्दी जगत अर दूजा लोगां नैं ओ ठा पड़ियो कै राजस्थानी भासा नैं लेय’र कोई आंदोलन चाल रैयो है नैं राजस्थान रा लोग अलगाव रै मारग पर जा सकै। हिन्दी रा लोग आ मानण लागग्या कै राजस्थानी जिसी लूंठी भासा नैं बेगी सूं बेगी संवैधानिक मानता मिलणी चाईजै। ’’वैचारिकी’’ पत्रिका रै संपादकीय में छपी एक टीप निजर है। ’’राजस्थानी जैसी भासाओं को मान्यता मिलने से इनका समृद्ध साहित्य हिन्दी में से निकल जायेगा। निकल जाये तो निकल जाये कोई चारा नहीं है। हमें हिन्दी का इतिहास दुबारा लिखना लेना होगा। भले ही उन्नीसवीं सदी के उतरार्द्ध से ही सही।‘‘
दूजी कांनी राजस्थान रो संत समाज भी राजस्थानी भासा री मानता नैं लेय’र आप रा पाचिया टांग लिया है। म्है अठै उण दो राजस्थानी तोपां रो बखाण करणो जरूरी समझूं कै इण संता री वाणी री गूंज आखै भारत में ही नीं, देस-दुनियां में आप रो डंको बजा रैयी है। ऐक  है जोधपुर रा जोध संत राधाकिशन  जी महाराज अर दूजा रामस्नेही संप्रदाय रा रामप्रसाद जी महाराज। अठे दोवूं संत ‘‘नानी बाई रो मायरो’’ अर भागवत मायड़ भासा में बांच’र सीधा लोगां रै काळजे पर चोट करै। राधाकिशन  जी महाराज तो हर ठौड़ आ बात केवै कै आप री भासा संस्कृति नैं मती छोडो।
कळकते री कथा में तो वां आदर जोग कन्हैयालाल  जी सेठिया री अमर कविता ‘‘धरती धोरां री’’ सुणा’र इण बात नैं चोड़ै कर दी कै इण आंदोलन में संत समाज भी लारै कोनी। वै सरकार सूं आ खूली मांग करै कै राजस्थानी भासा जिकी करोड़ू लोगां री मायड़ भासा है, इण नैं क्यूं नीं मानता दो? इण रै सागै ही वै आ भी केवै कै इण रो सबूत चाईजै तो म्हारी इण संगत री पंगत में बैठा लोगां री गिणती करलो।
संता री इण दकाळ नैं राजस्थानियां री इण आस नैं भारत री सरकार कद तांई टाळती रेवैला? भारत री सरकार अर प्रदेस रा नेतावां नैं कद चेतौ आवैला? राजस्थान रा मुख्यमंत्री अशोक  गहलोत नैं पैलके अमरीका रै मांय राना रा लोगां फटकार लगाई जद वै राजस्थान री विधान सभा सूं राजस्थानी भासा री मानता रो प्रस्ताव पास करायो। ओ प्रस्ताव लारलै 7 बरसां सूं धूड़ चाट रैयो है। अबार तो देस में अर प्रदेस में वांरी पार्टी री इज सरकार है तद राजस्थान रा लूंठा मुख्यमंत्री अशोक  गहलोत किसी दूजी फटकार नैं उडीकै? राजस्थानी में ऐक  केबत है कै गुड़ दियां ही मरै जद फिटकड़ी क्यूं देवै? राजस्थान रा लोगां गुड़ खवा-खवा नैं तो इण नेतावां नैं मोटा-ताजा कर दिया। अबै फिटकड़ी री आस में ओ फिटापो क्यूं करै?


विनोद सारस्वत,
बीकानेर

Monday, February 22, 2010

जगत मायड़ भासा दिवस

जगत मायड़ भासा दिवस

आज जगत मायड़ भासा दिवस छै, ओ दिन वां लोगां सारू घणौ महताउ छै, जिकां आपरी मायड़ भासा री रिछपाळ सारू आपरा प्राण होम दीधा। आपां राजस्थानी लोग भी इण दिन नैं याद अवस करां पण आपां री भासा नैं तो भारत री सरकार रिगदोळण में लागौड़ी छै अर इण नैं संविधान में ठौड़ देवण में ओसका ताक रैयी छै। एक जचती बात आ छै कै राजस्थानी भासा री मानता सारू चाल रइ~यै इण आंदोलन मांय हाल तकात किणी आप रा प्राण नीं गमाया छै। भारत री गूंगी बोळी सरकार राजस्थानियां री इण मांग नैं सुणी-अणसुणी कर रैयी छै। वा चावै कै राजस्थानी लोग भी आग बळीता नैं तोड़ा-फोड़ी करै, जद जाय नैं वा इण पर कीं ध्यान धरै।

पण राजस्थानी लोगां खुद भी घोर खेंच राखी छै, अर हिन्दी रै आगे टंटा टेरता थकां इण रा हेठवाळ बण नैं जीवण री पक्की तेवड़ली छै। आज अठै री कीरत अर बळिदान री गाथावां फगत एक इतिहास बण नैं रैयगी छै। ’’इला न देणी आपणी, हालरिये हुलराय। पूत सिखावे पालणै, मरण बडाई मांय।’’ इण दूहे रो आज कोई मायनो नीं लखावै। आज री मावां नैं कंवरा रै मूंडै सूं हिन्दी में बोल-बतलावण अर धाड़-फाड़ अंग्रेजी बोलता आछा लागै। आज री वां कामणियां नैं भी हिन्दी में गिटर-पिटर करता भंवर आछा लागै जद बापड़ी मरू-वाणी आंसू झार-झार नैं रोवे।

म्हनैं तो साफ लागै कै वै जोधां धर्म-धरा री पत राखण सारू आप रै प्राणां रो मोह नीं राखता, गायां री रिछपाळ सारू वार चढ जांवता, विरछां री खातर आप रै जीवण री बाजी लगा देंवता। वै ब्राहमण भी लारै नीं हा जिका अन्याव सहन करण री ठौड़ जनेउ नैं खेजड़ी पर टांग नैं आप रौ जीवण बळती लाय में होम न्हाखता। पण अबै इत्तौ बदळाव कींकर व्हैग्यो। म्हनैं तो लागै कै अठै रै जोधां रौ लोही ठाडौ पड़ग्यो, वांरी खागां रै काट लागग्यो नैं वांरा तीर-कबाण खूंटी टंगग्या! जद इण झार-झार आंसूड़ा राळती मायड़ भासा मरू-वाणी री दाद-पुकार कुण सुणै।

विनोद सारस्वत,

बीकानेर