Saturday, September 25, 2010

{राजस्थानी गीत} लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै!

कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

वेद उपज्या इण धरणी पर, वेदां में बखाणी रै।
वेदां रै बखाण सूं आ तो सीधी नीसर आई रे ।।
रिसिया रै परताप आ तो कूंचै-कूंचै छाई रै।
कवियां री कलमां में आ तो मात सुरसत बणगी रे।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

गढपतियां री ढाळ नैं तलवारां मांही सजगी रै।
वीरां रो तो बागौ बणगी, बेरयां माथे कड़की रै।।
सतवंतिया रौ सत बणगी, जौहर रास रचायौ रै।
कामीड़ां तो जमपुर देख्यौ, पल्लै कीं नी पायौ रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

कवि चन्द्रवरदाई काळ बणनैं बैठ झरोखां आयौ रै।
मार-मार मोटी तोई, ओ भासा ग्यान करायौ रै।।
इण रै ही परताप सूं तो मोहम्मद गौरी मर~यौ रे।।
अजमेरी चौहाण राजा धरम सनातन पाळ~यौ रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

रैदास सरीखा गरूवां मीरां नैं साचौ पाठ पढायौ रै।
भाव-भगती में इसी डूबी, देख जगत चकरायौ रै।।
मिसरी सी मीठी भासा में गिरधर गोपाळ रिझायौ रै।
सैंदे भगवान आप पगट~या, मीरां नैं दरस दिखायौ रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

अजमलजी रा तीखा बैण द्वारकानाथ मन भाया रै।
रामदेवजी रो अवतार ले, मात मैणादे घर आया रै।।
पिछम धरा रौ ओ देव रामदेव पीरां रौ पीर कैवायौ रै।
धजा फरूकै असमानां इण री परचां रौ कोई नी पार रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

करमा री आ भौळी भासा तिरलोकीनाथ नैं भायी रै।
गटागट जीम्यौ खीचड़ौ, डिकार भी नीं लीधी रै।।
मीठी, मधरी इण भासा री बाण भगवान नैं घण सुहाई रै।
थै! परभासा रा हेटवाळ बण क्यूं नकटाई धारौ रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

सगळा संत, सती अर सूरमा राख्यौ माण सवायौ रै।
देव-पितर जूझार भोमियां हाको-हाक मचाई रै।।
इटली सूं टेस्सीटोरी आय अठै राग राजस्थानी गायी रै।
जोर्जे  ग्रिएर्सन  अर सुनीति चटर्जी साख इण री बधाई रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

लंगा अर मांगणियारां गूंज सात समंदा पार गुंजाई रै।
गुलाबो अर कोहिनूर जैड़ां घमक धणी मचाई रै।।
लिखांरां री कलमां घसगी, कवियां कंठ गळग्या रै।
झार-झार रोवै मायड़ भासा, इसड़ा कांई जणिया रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।

कै तो बीज बदळग्यौ इण धरणी रौ कै लागी खोटी निजर रै।
कै तो जापा बिगड़ग्या मांवा रा, कै गळसूंठी खोटी रै।।
कै तो सतियां रौ सत गमग्यौ, कै खागां रै लाग्यौ काट रै।
कै तो रजपूती रांड हुयगी, भरम कूड़ियो पाळयौ रै।।
कूड़ी बाण छोडौ भाईड़ां कूड़ी स्यान छोडौ रै।
लाजै मायड़ भासा थांरी, लाजै मायड़ भौम रै।।
विनोद सारस्वत,
बीकानेर


















2 comments:

  1. व्हाला भाई विनोद सारस्वत जी
    घणै मान राम राम !


    गीरबैजोग राजस्थानी भाषा रो गीत
    लाजै मायड़ भाषा थांरी, लाजै मायड़ भौम रे!
    पढ़'र जी सो'रो ई हुयो , अर मन में अणेसो ई हुयो ।

    ऐर गैर सैंग घर में माण पा रया !
    अडीक में आपांरै तिरवाळा छा रया !
    ऐर गैर सैंग अठै ई माण पा रया !
    अडीक में घरा'ळां रै तिरवाळा छा रया !
    कोशिशां में कीं न कीं आपां रै खोट है !
    सूत्येड़ां री पाडा ल्यावै ; बात मोट है !
    आर पार री लड़ाई री घड़ी है आज,
    उठ रयी आपांरै क्यूं मरोड़ नीं अठै !?
    काळजै में !!!
    म्हारी जीभड़ी ए ! थारी होड नीं कठै ई !
    म्हारी मीठी बोली ! थारी होड नीं कठै ई !
    म्हारी राजस्थानी ! थारी होड नीं कठै ई !
    काळजै में सूळ …


    मोकळी बधाई है थांनैं मातभोम अर मातभाषा रै सांतरै गीत खातर


    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    शस्वरं

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