Wednesday, July 1, 2009

ओ भारत भाग्यविधाता है!

ओ भारत भाग्यविधाता है!

लारली २७ अप्रेल नैं आखातीज रै दिन आपां रै देस बीकाणै रो थापना रो दिन हो, इणी सुभ दिन श्री करणी माता आप रै निज हाथां सूं इण री नींव राखी ही। इण रै पछै बीकाणै कदैई लारै मुड़'र नीं देख्यो, आप री सींवा रौ बिगसाव करियो अर विकास रा पांवडा भरणा सरू कर्या जिका महाराजा गंगासिंह जी रै सासन तांई आवंता बै सैंग मुकाम हासल करिया जिकी किणी भी आधुनिक देस री जरूरत व्हिया करै।

आम जन घणौ सोरौ नैं च्यारूंमैर सुख-सांयत नैं कानून रो राज हो। राज-काज समूचै लोकतांत्रिक सरूप सूं आछो-भलो चलतो हो, दसलां री अठै दाळ नीं गळती ही, साच अर न्याव रो राज हो। कानून तोड़णियां नै सजा दिरीजती। इण में किणी भांत री दुभांत नीं ही। केन्द्र में राज अंग्रेजा रो हो, पण बीकानेर आप रै पगां पर थिर खड़यो एकदम आजाद देस हो, जिण री आखी जगत बिरादरी में घणी साख-सोभा नैं न्यारी-निरवाळी पिछाण ही। समै मुजब किणी भी चीज-बस्त री जरूत व्हैती अठै रो राज हाथूंहाथ उण नैं हाजर करतो।

विकास री गंगा आप री समूची चाल सूं लगौलग बह रैयी ही, पण एकाएक अठै भी आजादी री हवा बैवणी सरू हुयगी। इण आंधी री चपैट सूं आपां रौ बीकाणौ भी अछूतो नीं रह्यौ। नूंवै जलम्यै भारत देस नैं लूंठौ करण रै फैर में आपा रां राजा महाराजा सार्दुलसिंहजी भी उण परवाणै माथै आप री छपा लगायदी अर बीकानेर एक आजाद मुलक सूं भारत देस रै राजस्थान प्रांत रो फगत एक जिलो बणग्यो।

आप सोचो कै इण साठ बरसां में इण लोकतांवित्रक सरकार बीकानेर रै विकास नैं किसी नूंवी दीठ दी? इण लोकतांत्रिक सरकार रौ एक छोटो सो नमूनो देखलो तो लखाव पड़ जासी कै ओ राज ठीक है या बो राज ठीक हो?

बीकानेर आज भी उण रेल लाइण पर खड़यो है, जिण नैं महाराजा सार्दुलसिंहजी सहर सूं बारै ले जावण री तेवड़ करी ही। आज साठ बरसां पछै भी आ रेल लाईण भारत सरकार रै एमओयू री बाट क्यूं जोवै? कारण साफ है कै अबै अठै भारत री सरकार रो राज चालै, राजसाही खतम हुयगी। अठै लोकतंत्र री गंगोतरी बेवै, अठै जनता रो राज, जनता रै कांनी सूं जनता रै सारू है। जद कुण किण नैं केवै? चोर-चोर मासिया है। ओ म्हारौ व्हालो भारत देस है, ओ जन गण मन अधिनायक भारत भाग्य विधाता है। अठै पंजाब, सिंध गुजरात, मराठा है, द्राविड़ उत्कल बंगा विन्ध्य हिमाचल यमुना गंगा, उच्छल जलधि तरंगा तब सुभ नामे जागे, तब सुभ आसीस मांगे। समूचौ राजपूताना अर मरूप्रदेस इण रौ उपनिवेश बाजै, भारत भाग्य विधाता! इण नैं बारंबार वन्दे! कांई आपां रौ बीकाणौ अर राजस्थान प्रदेश भारत री सरकार रौ उपनिवेश बण`र रहग्यौ है? इण लखणां सूं तो ओ ईज लखाव पड़ै।

आप एक-एक चीज सूं इण साठ बरसी राज री तुलना कर देखो तो बेरौ पड़ जासी। एक नमूनो औरूं निजर है- बीकानेर जिले सूं भी छोटा जिलां री भासा अर नेपाली जिसी भासा नै आसाम-बंगाल सरकारां री हिमायत री फगत एक पाती सूं संविधान री मानता मिलगी अर अठिनै ५५ बरसां री घणी उडीक पछै राजस्थान री विधान सभा सूं सरब सम्मति सूं पारित व्हियोड़ौ प्रस्ताव लारलै ६ बरसां सूं धूड़ चाट रह्यौ है। कांई आपां इत्ता कंवळा काकड़िया हां? हां, भाई हां!

आपां भारत जिसै लूंठै सार्वभौमिक, संप्रभू रास्ट्र रा उपनिवेश हां। साचै सबदां में आपां गुलाम हां। गुलामां नैं किणी भांत रा अधिकार नीं व्हिया करै। मालक-सरकार री जद भी दया-दीठ हुसी, तद देसी। मांग्या सूं मिले कोनी अर खोस'र लेवण री आपां री सरधां-आसंग, खिमता कोनीं। आपां तो फेर भी भाग्य विधाता गांवाला, इण री स्यान में इयां ईज सीस निवांवाला। भाग्यविधाता टूठसी जद ही चोखो। आखर फैरूं इण नैं नमो नमस्कार।

1 comment:

  1. Singa re desh re maay golaa bhela hugiya |
    Na ghar ra ghat ra| Aapa udikata hi resaa |

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